महाराष्ट्र

Jalna Rs 42 Crore Farmer Relief Scam Exposed: जालना में फर्जी किसानों के नाम पर 42 करोड़ का गबन, 21 अधिकारी सस्पेंड

Jalna Rs 42 Crore Farmer Relief Scam Exposed: जालना में फर्जी किसानों के नाम पर 42 करोड़ का गबन, 21 अधिकारी सस्पेंड

Jalna Rs 42 Crore Farmer Relief Scam Exposed: जालना में प्रकृति की मार झेल रहे किसानों के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये की राहत राशि भेजी थी, लेकिन यह पैसा उनके हक तक पहुंचने की बजाय भ्रष्ट अधिकारियों की जेब में चला गया। महाराष्ट्र के जालना जिले में हुआ यह घोटाला (Jalna crop relief scam) न केवल किसानों के साथ धोखा है, बल्कि यह उस विश्वास का भी टूटना है जो आम आदमी सरकार पर करता है। जालना में 2022 से अब तक 450 करोड़ रुपये की राशि प्राकृतिक आपदा के बाद किसानों की फसल के नुकसान की भरपाई के लिए दी गई थी। लेकिन इस राशि में से 42 करोड़ रुपये का गबन (Rs 42 crore embezzlement) सामने आया है। इस मामले में 21 सरकारी अधिकारियों को निलंबित किया गया है, और जांच का दायरा अब मराठवाड़ा के सात अन्य जिलों तक बढ़ गया है।

यह घोटाला तब सामने आया जब जालना के दो तहसीलों, अंबड और घनसावंगी, के कुछ किसानों ने शिकायत की कि उन्हें फसल नुकसान की राहत राशि नहीं मिली। इन शिकायतों के बाद जालना के कलेक्टर श्रीकृष्ण पंचाल ने जनवरी 2025 में एक जिला-स्तरीय समिति बनाई। इस समिति ने जांच शुरू की और पाया कि 79 करोड़ रुपये की राशि में भारी अनियमितताएं थीं। गहन जांच के बाद यह साफ हुआ कि 42 करोड़ रुपये का गबन (Rs 42 crore embezzlement) किया गया। इस राशि का इस्तेमाल नकली किसानों के नाम पर, बंजर जमीनों के लिए, और सरकारी जमीनों पर फर्जी दावे बनाकर किया गया। कुछ मामलों में अधिकारियों ने खेतों का आकार बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया ताकि ज्यादा राशि हड़पी जा सके।

जालना में यह घोटाला (Jalna crop relief scam) कोई छोटी-मोटी गलती नहीं था। यह एक सुनियोजित साजिश थी जिसमें तलाठी, तहसीलदार, और अन्य कर्मचारी शामिल थे। जांच में पाया गया कि 10 अधिकारियों ने 1 से 1.9 करोड़ रुपये तक की राशि अपने नाम कर ली, जबकि कई अन्य ने 25 से 50 लाख रुपये हड़पे। कलेक्टर पंचाल ने बताया कि अब तक 7 करोड़ रुपये वसूल किए जा चुके हैं, और 17 तलाठियों और 5 क्लर्कों को निलंबित किया गया है। इसके अलावा, 35 तलाठियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो चुकी है, और पांच तहसीलदारों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।

इस घोटाले की कहानी सिर्फ जालना तक सीमित नहीं है। मराठवाड़ा के आठ जिलों में अब पिछले पांच सालों की राहत राशि की जांच के आदेश दिए गए हैं। औरंगाबाद के मंडल आयुक्त ने सख्त निर्देश दिए हैं कि हर जिले में यह देखा जाए कि क्या राहत राशि गलत लोगों तक पहुंची, क्या एक ही व्यक्ति को कई बार भुगतान हुआ, और क्या फर्जी खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए। इसके लिए गाँव-स्तर के रिकॉर्ड, सैटेलाइट इमेज, और बैंक खातों की जांच की जा रही है। हर जिले के अतिरिक्त कलेक्टर को इस काम का नोडल अधिकारी बनाया गया है, और 15 दिनों में पूरी रिपोर्ट मांगी गई है।

जालना के किसानों की हालत पहले ही खराब थी। सूखा, बाढ़, और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने उनकी फसलों को बर्बाद कर दिया। ऐसे में, जो राशि उनके दर्द को कम करने के लिए थी, वह भी उन तक नहीं पहुंची। किसान संगठनों ने अब इस मामले में और सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ग्राम सेवक और कृषि सहायकों को भी जांच के दायरे में लाया जाए, क्योंकि ये लोग खेतों और फसलों के नुकसान का सत्यापन करते हैं।

इस घोटाले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ असली हकदारों तक क्यों नहीं पहुंचता। जालना के किसानों की मेहनत और उम्मीदों पर यह भारी चोट है। जब खेतों में फसलें जल रही थीं, तब ये अधिकारी अपने फायदे के लिए कागजों पर खेती कर रहे थे। अब, जब जांच का दायरा बढ़ रहा है, तो उम्मीद है कि सभी दोषियों को सजा मिलेगी और असली किसानों को उनका हक मिलेगा।

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