Maharashtra Polls Plea Dismissed: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर एक याचिका ने हाल ही में सुर्खियां बटोरीं, जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। याचिका में पूरे चुनाव को रद्द करने की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे “अस्पष्ट, हास्यास्पद और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” करार दिया। यह मामला न केवल चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे बिना ठोस सबूतों के बड़े दावे अदालत में टिक नहीं पाते।
याचिका चेतन आहिरे नामक एक मतदाता ने दायर की थी, जो नॉर्थ ईस्ट मुंबई लोकसभा और विखरोली विधानसभा क्षेत्र से हैं। उन्होंने दावा किया कि 6 नवंबर 2024 को हुए चुनाव में देर रात तक मतदान (Late Voting) के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। उनके वकीलों, प्रकाश आंबेडकर और हितेंद्र गांधी ने तर्क दिया कि करीब 76 लाख वोट, यानी कुल वोटों का 6.8%, मतदान के निर्धारित समय 6 बजे के बाद डाले गए, और इसके लिए भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के पास कोई सत्यापित रिकॉर्ड नहीं है। याचिकाकर्ता ने इसे “संविधान के साथ धोखा” करार दिया और पूरे चुनाव की वैधता पर सवाल उठाया।
याचिका का आधार एक RTI जवाब था, जो दिल्ली के वेंकटेश नायक ने प्राप्त किया था। इसमें कहा गया था कि ECI के पास 6 बजे के बाद डाले गए वोटों का बूथ-वार डेटा नहीं है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने एक अखबार के लेख का हवाला दिया। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास सभी 288 विधानसभा सीटों के परिणामों को चुनौती देने का कोई कानूनी आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि बिना किसी ठोस कारण के इतने व्यापक और कठोर राहत की मांग कैसे की जा सकती है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की तैयारियों पर भी सवाल उठाए। चेतन आहिरे न तो चुनाव में उम्मीदवार थे और न ही उन्होंने ECI को कोई शिकायत दर्ज की थी। कोर्ट ने इसे आश्चर्यजनक बताया कि एक अखबार के लेख और RTI जवाब के आधार पर इतनी बड़ी याचिका दायर की गई। जजों ने स्पष्ट किया कि हर मतदान केंद्र पर ECI द्वारा कई सावधानियां बरती जाती हैं ताकि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के किसी भी मतदान केंद्र पर कोई अनुचित घटना या धोखाधड़ी होने का कोई सबूत नहीं है।
याचिका में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को हटाकर पारंपरिक बैलट पेपर से मतदान की मांग भी की गई थी। लेकिन कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया। जजों ने कहा कि EVM का उपयोग सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी वैध ठहराया गया है। हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारतीय चुनाव आयोग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने EVM की वैधता और निष्पक्षता को बरकरार रखा था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी दोहराया कि EVM का उपयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को प्रभावित नहीं करता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दावों को “निराधार और हताशा में किया गया” बताया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका इतनी अस्पष्ट थी कि इसे खारिज करने के लिए लागत लगानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से परहेज किया। इस सुनवाई ने कोर्ट का पूरा दिन लिया, जिसके कारण अन्य जरूरी मामलों को पीछे रखना पड़ा। इसने कोर्ट की नाराजगी को और बढ़ाया। कोर्ट ने साफ किया कि बिना किसी ठोस सबूत के, जो कानून में स्वीकार्य हो, ऐसी याचिकाएं केवल समय की बर्बादी हैं।
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