Three-Language Policy Scrapped: महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर एक बार फिर जोश और जुनून की लहर दौड़ पड़ी है। रविवार को महायुति सरकार ने त्रिभाषा नीति से जुड़े अपने दो सरकारी आदेशों को रद्द कर दिया, जिसके बाद मराठी अस्मिता की जीत का जश्न शुरू हो गया। इस नीति के तहत स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने की योजना थी, लेकिन मराठी अस्मिता (Marathi identity) की ताकत के आगे सरकार को झुकना पड़ा। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने इस फैसले को मराठी लोगों की एकजुटता की जीत बताया और 5 जुलाई को मुंबई में विजय रैली (victory rally) निकालने की घोषणा की।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सरकार ने अप्रैल और जून में दो सरकारी आदेश जारी किए, जिनमें मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को अनिवार्य करने की बात थी। इन आदेशों ने मराठी समुदाय में गुस्सा भड़का दिया। राज ठाकरे ने इसे मराठी भाषा और संस्कृति पर हमला करार दिया। उन्होंने स्कूलों, अभिभावकों और मराठी संगठनों से इस नीति का विरोध करने की अपील की। उनकी पार्टी ने सड़कों पर उतरने और हस्ताक्षर अभियान चलाने जैसे कदम उठाए। इस आंदोलन में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) भी शामिल हो गई। दोनों दलों ने 5 जुलाई को मुंबई में एक संयुक्त मार्च की योजना बनाई थी, लेकिन सरकार के फैसले को रद्द करने के बाद इसे अब विजय रैली (victory rally) का रूप दे दिया गया।
राज ठाकरे ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि यह जीत किसी एक दल की नहीं, बल्कि पूरे मराठी समुदाय की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कक्षा एक से हिंदी को थोपने की कोशिश को मराठी लोगों ने नाकाम कर दिया। इस रैली में कोई राजनीतिक झंडा नहीं होगा, केवल मराठी एकता का परचम लहराएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि सरकार ने भले ही आदेश रद्द कर दिए हों, लेकिन भविष्य में ऐसी कोई नीति दोबारा लाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ठाकरे ने जोर देकर कहा कि मराठी भाषा महाराष्ट्र की आत्मा है, और इसे किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
इस मुद्दे पर राज ठाकरे ने राजनीति से ऊपर उठकर बात की। उन्होंने कहा कि गठबंधन और चुनाव आते-जाते रहते हैं, लेकिन अगर मराठी भाषा खत्म हो गई, तो महाराष्ट्र की पहचान ही मिट जाएगी। उन्होंने मराठी लोगों से अपील की कि वे अपनी भाषा और संस्कृति के लिए हमेशा एकजुट रहें। ठाकरे ने यह भी साफ किया कि उनका विरोध हिंदी भाषा से नहीं, बल्कि इसे जबरन थोपने की कोशिश से है। उनके इस बयान ने मराठी समुदाय में नई ऊर्जा भरी और लोगों ने इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के रूप में देखा।
सरकार की ओर से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सफाई दी कि उनकी नीति मराठी-केंद्रित थी, और मराठी भाषा को कभी कमजोर नहीं किया जाएगा। उन्होंने शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक नई समिति गठित करने की घोषणा की, जो भाषा नीति की समीक्षा करेगी। इस समिति की रिपोर्ट आने तक त्रिभाषा नीति पर कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। लेकिन राज ठाकरे ने इस समिति पर भी सवाल उठाए और कहा कि ऐसी समितियों की आड़ में मराठी विरोधी नीतियां लाने की कोशिश फिर से नहीं होनी चाहिए।
5 जुलाई को होने वाली रैली को लेकर उत्साह चरम पर है। राज ठाकरे ने कहा कि यह रैली मराठी एकता का प्रतीक होगी, जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल होंगे। उन्होंने स्कूलों, शिक्षकों और अभिभावकों से इस रैली में हिस्सा लेने की अपील की। यह रैली गिरगांव चौपाटी से शुरू होगी और मराठी भाषा के गौरव को दर्शाएगी। ठाकरे ने यह भी कहा कि यह केवल एक रैली नहीं, बल्कि मराठी अस्मिता का उत्सव है, जो पूरे महाराष्ट्र को एकजुट करने का संदेश देगा।