मुंबई

राज और उद्धव ठाकरे आए एक मंच पर, जानें राज ठाकरे ने क्या कुछ कहा

राज ठाकरे
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महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक नया अध्याय जुड़ गया। करीब 19 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने एक साथ मंच साझा किया और गले मिलकर एकता का संदेश दिया। इस मौके पर दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के हितों को लेकर जोरदार भाषण दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी की नीतियों पर जमकर निशाना साधा।

राज ठाकरे का बीजेपी पर हमला
राज ठाकरे ने अपने भाषण में कहा, “महाराष्ट्र हमारे लिए सबसे बड़ा है। हमारा कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, सिर्फ मराठी और महाराष्ट्र का एजेंडा है।” उन्होंने बीजेपी के हिंदुत्व के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा, “हिंदी को थोपने की कोशिश क्यों हो रही है? महाराष्ट्र में मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए।” राज ने ये भी कहा कि हिंदी बोलने वाले लोग रोजगार के लिए महाराष्ट्र आते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मराठी को दरकिनार किया जाए।

उन्होंने केंद्र सरकार के तीन भाषा फॉर्मूले पर भी सवाल उठाए। राज ने पूछा, “उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में तीसरी भाषा क्या होगी? ये हिंदी भाषी राज्य हमसे पीछे हैं, फिर हमें जबरन हिंदी क्यों थोपी जाए?” उन्होंने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र में मराठी को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

उद्धव और राज की एकता का श्रेय फडणवीस को
राज ठाकरे ने मजाकिया अंदाज में कहा, “मुझे और उद्धव को एक साथ लाने का श्रेय देवेंद्र फडणवीस को जाता है।” उन्होंने कहा कि आज का ये समारोह किसी पार्टी का नहीं, बल्कि मराठी भाषा और संस्कृति का जश्न है। “जब महाराष्ट्र जागता है, तो दुनिया देखती है,” राज ने गर्व से कहा।

अंग्रेजी और हिंदी पर बहस
राज ठाकरे ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी के इस्तेमाल का जिक्र करते हुए सवाल किया, “अन्य राज्यों में ऐसा क्यों नहीं होता? सिर्फ महाराष्ट्र में ही यह क्यों?” उन्होंने ये भी बताया कि उनके पिता और बाला साहेब ठाकरे ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाई की थी, लेकिन उनकी मराठी और महाराष्ट्र के प्रति निष्ठा पर कभी सवाल नहीं उठा। उन्होंने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई की थी।

मराठी एकता का संदेश
इस आयोजन में दोनों भाइयों ने मराठी एकता का संदेश दिया। राज ठाकरे ने कहा, “हम शांत हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम डरते हैं। कोई भी मुंबई को महाराष्ट्र से अलग नहीं कर सकता।” उन्होंने मराठी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई।

ये ऐतिहासिक क्षण महाराष्ट्र की राजनीति में नई संभावनाओं को जन्म दे सकता है। राज और उद्धव की ये एकता मराठी अस्मिता के लिए एक मजबूत कदम मानी जा रही है।

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