मुंबई

1993 Mumbai Riots: 32 साल बाद वडाला पुलिस ने 1993 मुंबई दंगों के आरोपी आरिफ खान को पकड़ा

1993 Mumbai Riots: 32 साल बाद वडाला पुलिस ने 1993 मुंबई दंगों के आरोपी आरिफ खान को पकड़ा

1993 Mumbai Riots: मुंबई की सड़कों पर 1993 में दंगे भड़क उठे थे। उस आग ने शहर को झुलसा दिया, सैकड़ों जिंदगियां छीन लीं और अनगिनत सपनों को राख कर दिया। उस दौर की एक कड़वी याद फिर से ताजा हो गई है, जब वडाला पुलिस ने 32 साल बाद 1993 मुंबई दंगों के एक मुख्य आरोपी, आरिफ खान को गिरफ्तार किया। यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जो तीन दशक तक कानून की आंखों में धूल झोंकता रहा, लेकिन आखिरकार उसे पकड़ लिया गया।

1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मुंबई में सांप्रदायिक तनाव ने हिंसा का रूप ले लिया था। वडाला, भायखला और कुर्ला जैसे इलाकों में दंगे भड़क उठे। इस हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए, और शहर में भारी तबाही हुई। इन्हीं दंगों में आरिफ अली हशमुल्ला खान, जिसे लोग आरिफ खान के नाम से जानते हैं, पर हत्या का प्रयास और गैरकानूनी जमावड़ा जैसे गंभीर आरोप लगे थे। उस वक्त 22 साल का यह युवक गिरफ्तार हुआ था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ। इसके बाद अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया और गैर-जमानती वारंट जारी किया। फिर शुरू हुआ एक लंबा इंतज़ार, जो 32 साल बाद जाकर खत्म हुआ।

वडाला पुलिस ने इस मामले को कभी ठंडे बस्ते में नहीं डाला। सालों तक पुलिस ने आरिफ खान को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वह हर बार बच निकलता। उसका दर्ज पता काम नहीं आया। वह मुंबई में ही था, लेकिन अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था। कभी नाम बदलकर, तो कभी जगह बदलकर, वह कानून से बचता रहा। लेकिन कहते हैं ना, समय सबको जवाब देता है। पुलिस को हाल ही में एक अहम सुराग मिला। जांचकर्ताओं ने आरिफ के रिश्तेदारों के फोन रिकॉर्ड्स खंगाले। इन रिकॉर्ड्स ने कुछ ऐसी जानकारियां दीं, जिनसे पुलिस को उसकी ठिकाने का पता चला।

पुलिस ने उत्तर प्रदेश में उसके पैतृक गांव का दौरा किया। वहां से कुछ और सुराग मिले। आखिरकार, वडाला पुलिस ने मुंबई के अंतोप हिल इलाके में जाल बिछाया। 5 जुलाई 2025 को, 54 साल के आरिफ खान को दीन बंधु नगर से गिरफ्तार कर लिया गया। यह एक ऐसी जगह है, जहां संकरी गलियां और घनी आबादी किसी को भी छिपने का मौका दे सकती है। लेकिन इस बार, वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। गिरफ्तारी के बाद उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

यह गिरफ्तारी सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है। यह उस दौर की याद दिलाती है, जब मुंबई जल रही थी। 1993 के दंगों ने शहर को गहरे जख्म दिए। वडाला पुलिस की इस कार्रवाई ने उन जख्मों को फिर से हरा कर दिया, लेकिन साथ ही यह भी दिखाया कि कानून का पहिया भले ही धीरे घूमे, पर रुकता नहीं। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इन 32 सालों में आरिफ खान कहां-कहां रहा, उसने कैसे अपनी पहचान छिपाई, और क्या कोई ऐसा था, जो उसे पनाह दे रहा था।

अंतोप हिल की तंग गलियों में छिपा यह शख्स शायद यह भूल गया था कि मुंबई भले ही लाखों लोगों का शहर हो, लेकिन यहां कानून की नजरें हर कोने तक पहुंचती हैं। आरिफ खान की गिरफ्तारी 1993 मुंबई दंगों के उन पीड़ितों के लिए एक छोटा-सा इंसाफ है, जिन्होंने उस हिंसा में अपने अपनों को खोया। यह कहानी बताती है कि समय कितना भी बीत जाए, इंसाफ की उम्मीद कभी खत्म नहीं होती।

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