भारत की एक और महिला यमन में मौत की सजा का सामना कर रही है। केरल की नर्स निमिषा प्रिया पर यमन के नागरिक तलाल आबदो मेहदी की हत्या का आरोप है। 16 जुलाई 2025 को उनकी फांसी तय थी, लेकिन अब इसकी तारीख टाल दी गई है। ये भारत की दूसरी महिला है, जो पिछले पांच महीनों में विदेश में फांसी की सजा से जूझ रही है। इससे पहले उत्तर प्रदेश की शहजादी को अबू धाबी में गोली मारकर मौत की सजा दी गई थी।
निमिषा अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए यमन गई थीं। लेकिन 2017 में उन पर हत्या का आरोप लगा, और तब से वो जेल में हैं। आइए, जानते हैं कि यमन में हत्या के मामले कितने समय तक चलते हैं और निमिषा का केस कैसे आगे बढ़ा।
यमन में हत्या के केस कितने साल चलते हैं?
यमन में हत्या के मुकदमों की अवधि मामले की जटिलता पर निर्भर करती है। खासकर मौत की सजा वाले केस लंबे समय तक चल सकते हैं। निमिषा प्रिया का मामला इसका एक उदाहरण है। यमन की कानूनी प्रक्रिया में ट्रायल कोर्ट, अपील कोर्ट और सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल जैसी संस्थाएं केस की समीक्षा करती हैं। निमिषा का मुकदमा 2017 से 2023 तक चला, यानी कुल छह साल।
निमिषा प्रिया के केस की पूरी समयरेखा
2017: निमिषा पर यमन के नागरिक की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद से वो जेल में हैं।
2020: ट्रायल कोर्ट ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई।
2023: उच्च न्यायालय ने पहले सजा को खारिज किया, लेकिन सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में मौत की सजा को बरकरार रखा।
इस तरह, निमिषा का केस छह साल तक चला। कानूनी और राजनीतिक प्रक्रियाओं के कारण उनकी फांसी में देरी हुई है।
क्या है निमिषा के भविष्य की संभावना?
फिलहाल निमिषा की फांसी की तारीख टाल दी गई है, लेकिन उनकी सजा बरकरार है। यमन में कानूनी प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण इस मामले में और बदलाव हो सकते हैं। भारतीय दूतावास और निमिषा के परिवार इस मामले को सुलझाने की कोशिश में जुटे हैं।
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