Universal Buildwell Scam: गुरुग्राम में एक ऐसा रियल एस्टेट घोटाला सामने आया है, जिसने सैकड़ों लोगों के अपने घर के सपने को चकनाचूर कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूनिवर्सल बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड के तीन बड़े प्रमोटरों—रमन पुरी, वरुण पुरी और विक्रम पुरी—को गिरफ्तार किया है। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की और सैकड़ों घर खरीदारों को धोखा दिया।
ये मामला तब सामने आया जब दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग थानों में यूनिवर्सल बिल्डवेल और इसके डायरेक्टरों के खिलाफ 30 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुईं। लोगों का कहना है कि कंपनी ने फ्लैट और कमर्शियल प्रॉपर्टी देने का वादा करके पैसे लिए, लेकिन न तो प्रोजेक्ट पूरे हुए और न ही किसी को फ्लैट मिला। ये तीनों आरोपी पिछले सात साल से कोर्ट के समन से भाग रहे थे और कई मामलों में इन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। आखिरकार दिल्ली पुलिस ने इन्हें पकड़ा और 22 जुलाई 2025 को ईडी ने इन्हें अपनी हिरासत में ले लिया।
जांच में पता चला कि यूनिवर्सल बिल्डवेल ने गुरुग्राम और फरीदाबाद में आठ बड़े प्रोजेक्ट्स के नाम पर लोगों से 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किए। इन प्रोजेक्ट्स में यूनिवर्सल ट्रेड टावर, यूनिवर्सल ग्रीन्स, यूनिवर्सल बिजनेस पार्क, औरा, यूनिवर्सल स्क्वायर, मार्केट स्क्वायर, द पवेलियन और यूनिवर्सल प्राइम शामिल हैं। लेकिन इन पैसों का बहुत छोटा हिस्सा ही प्रोजेक्ट्स पर खर्च हुआ। बाकी पैसा इन प्रमोटरों ने अपनी निजी जायदाद खरीदने, महंगी प्रॉपर्टी लेने और पर्सनल फायदे के लिए इस्तेमाल किया।
ईडी को शक है कि इन लोगों ने जाली कागजात बनाकर बैंकों से लोन लिए और कुछ प्रॉपर्टी को दो-दो बार बेच दिया। इतना ही नहीं, इन्होंने ‘पक्के रिटर्न’ का लालच देकर लोगों को फंसाया। कई घर खरीदारों ने 2010 से पहले अपने जीवन की जमा-पूंजी इन प्रोजेक्ट्स में लगा दी थी, लेकिन 15 साल बाद भी उन्हें न फ्लैट मिला और न ही उनका पैसा वापस हुआ।
कंपनी को बाद में कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस में ले जाया गया। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने कुछ फ्लैट्स खरीदारों को देने का आदेश दिया, जबकि बाकी प्रॉपर्टी को लिक्विडेशन में डाल दिया गया। ईडी ने रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल से मिले डेटा के आधार पर जांच शुरू की और अब पूरे नेटवर्क की गहराई से तलाशी ले रही है।
तीनों आरोपियों को गुरुग्राम की स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 29 जुलाई 2025 तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। ईडी को शक है कि इस घोटाले में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। जांच अभी जारी है, और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनके खोए हुए पैसे और सपनों का हिसाब होगा।
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