Munde Gets Relief: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। 25 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व कृषि मंत्री धनंजय मुंडे को एक भ्रष्टाचार मामले में बड़ी राहत दी। कोर्ट ने उनके कार्यकाल में कृषि आदानों की खरीद के लिए बनाई गई विशेष कार्ययोजना को सही ठहराया। इस फैसले के बाद मुंडे के दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा तेज हो गई है। लेकिन इस खबर ने खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल का पारा चढ़ा दिया।
दरअसल, बीड जिले के मस्साजोग गांव में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के बाद धनंजय मुंडे को कृषि मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। इस हत्याकांड में गिरफ्तार वाल्मिक कराड को मुंडे का करीबी बताया जाता था। विपक्ष ने इस मामले में मुंडे पर सवाल उठाए थे, जिसके चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद छगन भुजबल को खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
भुजबल ने उस वक्त कहा था कि अगर धनंजय मुंडे को इस मामले में क्लीन चिट मिलती है, तो वो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन जब पत्रकारों ने 25 जुलाई को उनसे इस वादे के बारे में पूछा, तो भुजबल भड़क गए। उन्होंने उल्टा सवाल किया कि क्या मुंडे को सरपंच हत्याकांड में क्लीन चिट मिल गई है? भुजबल ने पत्रकारों को नसीहत दी कि बिना सोचे-समझे सवाल न पूछें।
भुजबल ने पहले तो कहा कि कोर्ट का फैसला सबको मानना चाहिए। उन्होंने बताया कि मुंडे पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच हुई और कोर्ट ने साफ कर दिया कि उनमें कोई सच्चाई नहीं थी। लेकिन जब उनसे इस्तीफे और मुंडे की मंत्रिमंडल में वापसी का सवाल पूछा गया, तो उनका गुस्सा फट पड़ा।
महायुति सरकार में बीजेपी, शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। भुजबल शुरू से ही इस गठबंधन में अहम भूमिका न मिलने से नाराज थे। अब मुंडे को मिली राहत ने सियासी गलियारों में नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। सबकी नजर इस बात पर है कि क्या भुजबल अपना वादा निभाएंगे या सियासत में कोई नया मोड़ आएगा।
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