Thackeray Alliance Flops: मुंबई में ठाकरे बंधुओं का पहला गठबंधन पूरी तरह नाकाम रहा। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की मनसे ने मिलकर बेस्ट एम्प्लॉइज को-ऑप क्रेडिट सोसायटी के चुनाव में हिस्सा लिया था, लेकिन 23 अगस्त 2025 को आए नतीजों ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। शिवसेना के उपनेता संजय निरुपम ने अंधेरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उद्धव और राज ठाकरे सिर्फ बोलने तक सीमित हैं, असली काम नहीं करते। उन्होंने दावा किया कि बाला साहेब ठाकरे का असली वारिस डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे हैं।
इस छोटे लेकिन अहम चुनाव में करीब 15 हजार वोटरों में से 12,500 ने वोट डाले। इनमें ज्यादातर मराठी और स्थानीय लोग थे। नतीजों में बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना ने बढ़त हासिल की, जबकि मनसे और शिवसेना (यूबीटी) को वोटरों ने पूरी तरह नकार दिया। निरुपम ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) आज अगर थोड़ी-बहुत टिकी है, तो सिर्फ मुस्लिम वोटरों के सहारे। अगर ये वोट बैंक भी हटा, तो उद्धव ठाकरे की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलेगी।
निरुपम ने ये भी कहा कि ये चुनाव भले ही छोटा था, लेकिन मुंबई की सियासत के लिए इसका मतलब बहुत बड़ा है। नतीजों से साफ हो गया कि मराठी वोटर अब ठाकरे बंधुओं को छोड़कर शिंदे गुट और बीजेपी के साथ जा रहे हैं। इस गठबंधन को ठाकरे बंधुओं ने निकाय चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाने के लिए बनाया था, लेकिन वोटरों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
संजय निरुपम ने ठाकरे बंधुओं पर तंज कसते हुए कहा कि बाला साहेब ठाकरे का ब्रांड आज भी लोगों के दिलों में है, लेकिन उसका असली हकदार एकनाथ शिंदे हैं, जो मराठी मानुष के हितों के लिए काम कर रहे हैं। इस हार के बाद ठाकरे बंधुओं के गठबंधन की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं, खासकर तब जब मुंबई में बीएमसी और अन्य निकाय चुनाव नजदीक हैं।
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