Why Is Pork Forbidden in Islam? इस्लाम में सूअर को हराम क्यों माना जाता है, यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है। हाल ही में फ्रांस की राजधानी पेरिस में मस्जिदों के बाहर सूअर के कटे हुए सिर मिलने से यह मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है। इस्लाम की पवित्र किताब कुरान में सूअर को नापाक और हराम बताया गया है। आइए जानते हैं कि सूअर को इस्लाम में हराम क्यों माना जाता है और क्या इसका नाम लेना भी हराम है।
कुरान में सूअर के मांस को खाने की सख्त मनाही है। इसे नापाक जानवर माना जाता है क्योंकि यह गंदगी में रहता है और गंदी चीजें खाता है। सूअर का शरीर भी ऐसा है कि उसे पसीना नहीं आता, जिसके कारण उसके शरीर से जहरीले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते। इससे उसका मांस सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है। कुरान की कई आयतों में सूअर के मांस को हराम बताया गया है, जैसे सूरह अल बकरा की आयत 173, सूरह अल मायदा की आयत 3, सूरह अल अनाम की आयत 145 और सूरह अन नहल की आयत 115। इन आयतों में साफ कहा गया है कि सूअर का मांस खाना मुसलमानों के लिए पूरी तरह निषिद्ध है।
सूरह अल बकरा की आयत 173 में अल्लाह ने फरमाया कि मुर्दा जानवर, खून, सूअर का मांस और वह जानवर, जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो, हराम है। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति मजबूरी में बिना ज्यादती के इनमें से कुछ खा ले, तो उस पर गुनाह नहीं होगा। इस्लाम में न सिर्फ सूअर का मांस खाना, बल्कि उसे खरीदना, बेचना या उससे किसी भी तरह का फायदा उठाना भी हराम है।
कई लोग मानते हैं कि सूअर का नाम लेने से भी जुबान नापाक हो जाती है और 40 दिन तक ईमान दूर चला जाता है। लेकिन इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती सलाउद्दीन कासमी ने साफ किया कि यह बात गलत है। कुरान में सूअर का नाम कई बार आया है, और इसके नाम लेने से कोई गुनाह नहीं होता। कोई हदीस या रिवायत यह नहीं कहती कि सूअर का नाम लेना हराम है। इस्लाम में सिर्फ सूअर का मांस खाना, उसे पालना या उससे फायदा उठाना मना है।
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