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सिर्फ अयोध्या के राम मंदिर में ही नहीं, भारत के इन 8 मंदिरों में भी भगवान की मूर्ती का होता है सूर्य तिलक

राम मंदिर
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रामनवमी के पावन अवसर पर अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला का सूर्य तिलक हुआ, जिसने लाखों भक्तों के दिलों को छू लिया। सूर्य की किरणें जब रामलला के माथे पर पड़ीं, तो ये दृश्य न सिर्फ आध्यात्मिक था, बल्कि विज्ञान और तकनीक का अनूठा संगम भी था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये परंपरा सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं है? देश के कई प्राचीन मंदिरों में सूर्य तिलक की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है, जहां सूर्य की किरणें मंदिरों के गर्भगृह को रोशन करती हैं। आइए, आपको भारत के उन 8 मंदिरों की सैर करवाते हैं, जहां सूर्य तिलक का चमत्कार हर साल देखने को मिलता है।

अयोध्या राम मंदिर: सूर्यवंशी राम का सूर्य तिलक
अयोध्या के राम मंदिर में रामनवमी पर रामलला की प्रतिमा पर सूर्य तिलक का नजारा हर किसी के लिए यादगार रहा। आईआईटी-रुड़की के वैज्ञानिकों ने हाई-टेक लेंस और यंत्रों की मदद से सूर्य की किरणों को रामलला के माथे पर सटीक रूप से पहुंचाया। चूंकि भगवान राम सूर्यवंश के वंशज माने जाते हैं, इसलिए इस सूर्य तिलक का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है। लेकिन क्या आपको पता है, कि ये तकनीक नई नहीं है? देश के कई मंदिरों में ये परंपरा पहले से ही मौजूद है।

1. सुरियानार कोविल मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु का 11वीं-12वीं सदी का सुरियानार कोविल मंदिर सूर्य देव को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला इतनी अनोखी है कि साल के खास दिनों में सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में प्रवेश करती हैं और सूर्य देव की मूर्ति को रोशन करती हैं। ये नजारा भक्तों के लिए एक अलौकिक अनुभव होता है।

2. नानारायणस्वामी मंदिर, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के नागालपुरम जिले में स्थित नानारायणस्वामी मंदिर में हर साल पांच दिन का सूर्य पूजा महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान सूर्य की किरणें भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की मूर्ति पर पड़ती हैं। पहले दिन किरणें मूर्ति के पैरों को छूती हैं और पांचवें दिन नाभि तक पहुंचती हैं। ये दृश्य भक्तों के लिए बेहद खास होता है।

3. कोबा जैन मंदिर, गुजरात
अहमदाबाद के कोबा जैन मंदिर में हर साल सूर्य अभिषेक की परंपरा होती है। दोपहर 2:07 बजे, ठीक तीन मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान महावीर स्वामी की संगमरमर की मूर्ति के माथे पर पड़ती हैं। इस आयोजन को देखने के लिए दुनिया भर से लाखों जैन श्रद्धालु पहुंचते हैं।

4. उनाव बालाजी सूर्य मंदिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित उनाव बालाजी सूर्य मंदिर में सूर्योदय के समय पहली किरण सीधे गर्भगृह में सूर्य देव की मूर्ति पर पड़ती है। इस खास मौके पर मंदिर में विशेष उत्सव का आयोजन होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है।

5. मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात
11वीं सदी का मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात का एक ऐतिहासिक रत्न है। साल में दो बार, सूर्य की किरणें मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करती हैं और सूर्य देव की मूर्ति को प्रकाशित करती हैं। इस मंदिर की वास्तुकला सूर्य की गति के साथ तालमेल का अद्भुत उदाहरण है।

6. कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा
13वीं सदी का कोणार्क सूर्य मंदिर अपनी भव्यता और अनोखी डिजाइन के लिए विश्व प्रसिद्ध है। सूर्योदय के समय सूर्य की पहली किरणें मंदिर के मुख्य द्वार से होकर गर्भगृह तक पहुंचती हैं, जो सूर्य देव को स्नान कराती हैं। ये दृश्य हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है।

7. रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
अरावली की पहाड़ियों में बसा 15वीं सदी का रणकपुर जैन मंदिर अपनी सफेद संगमरमर की संरचना के लिए जाना जाता है। इस मंदिर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि सूर्य की किरणें गर्भगृह में प्रवेश कर मूर्तियों को रोशन करती हैं, जो भक्तों के लिए एक चमत्कारी अनुभव होता है।

8. गवि गंगाधरेश्वर मंदिर, कर्नाटक
बेंगलुरु के पास स्थित गवि गंगाधरेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। हर साल मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणें पहले नंदी की प्रतिमा को रोशन करती हैं, फिर शिवलिंग तक पहुंचती हैं और अंत में पूरी मूर्ति को प्रकाश से नहला देती हैं। ये दृश्य भक्तों के लिए बेहद पवित्र माना जाता है।

सूर्य तिलक: विज्ञान और आस्था का संगम
सूर्य तिलक की ये परंपरा न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि प्राचीन भारतीय वास्तुकला और खगोल विज्ञान की गहरी समझ को भी दर्शाती है। अयोध्या के राम मंदिर में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो या प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला, सूर्य तिलक हमें हमारी सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत से जोड़ता है।

क्या आपने कभी इन मंदिरों में सूर्य तिलक का चमत्कार देखा है? अपने अनुभव कमेंट्स में शेयर करें और हमें बताएं कि इनमें से कौन सा मंदिर आपकी यात्रा सूची में है!

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