Bihar Election Infiltrators: बिहार चुनाव का मौसम आ गया है और हवा में तनाव की गंध फैल रही है। एनडीए के दो बड़े साथी बीजेपी और जेडीयू के बीच एक मुद्दा गरम हो रहा है। बीजेपी घुसपैठियों को बाहर निकालने का नारा बुलंद कर रही है। लेकिन जेडीयू इस बात से दूर भाग रही है। ये खींचतान सीमांचल के इलाकों में ज्यादा दिख रही है जहां मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं। राजनीतिक लोग कहते हैं कि अगर ये झगड़ा बढ़ा तो बिहार चुनाव में एनडीए को नुकसान हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को पूर्णिया में रैली की। वहां उन्होंने कहा कि एनडीए हर घुसपैठिए को देश से बाहर करेगा। उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वो घुसपैठियों को बचाती हैं। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने भी कई जगहों पर यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस घुसपैठियों की मदद से चुनाव जीतना चाहती है। शाह ने राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा पर भी निशाना साधा। बोले कि ये यात्रा शिक्षा या रोजगार के लिए नहीं बल्कि बांग्लादेश से आए लोगों को बचाने के लिए है।
बीजेपी का ये नैरेटिव SIR प्रक्रिया को साफ करने के लिए है। SIR मतलब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन जो मतदाता सूची को सही करने के लिए चल रहा है। लेकिन चुनाव आयोग ने कहा है कि वोटर लिस्ट में किसी घुसपैठिए का मामला सामने नहीं आया। फिर भी बीजेपी अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जैसे इलाकों पर फोकस कर रही है। यहां मुस्लिम आबादी 47 फीसदी से ज्यादा है। पार्टी का मकसद वोटरों को जोड़ना है लेकिन सहयोगी दल इससे खुश नहीं। जेडीयू हमेशा से विकास और सामाजिक न्याय की बात करती आई है। पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि हमें अपनी अच्छी बातें गिनानी चाहिए न कि घुसपैठ जैसे मुद्दे को हवा देनी चाहिए। जेडीयू की प्रवक्ता अंजुम आरा ने भी साफ कहा कि ये केंद्र का मामला है। अगर कोई विदेशी बिहार में है तो केंद्र को देखना चाहिए।
चिराग पासवान की एलजेपी भी इस मुद्दे पर चुप है। ये दल एनडीए का हिस्सा हैं लेकिन बीजेपी के इस नारे से दूर रह रहे हैं। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि जेडीयू का ये रुख बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है। खासकर जब पूरा बिहार एक जैसा नहीं सोचता। विपक्ष ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। आरजेडी के प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने कहा कि मोदी और शाह 20 साल की नाकामी छिपाने के लिए घुसपैठिया शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिहार में कोई घुसपैठिया नहीं है। कांग्रेस के असित नाथ तिवारी ने सवाल किया कि SIR में अब तक एक भी बांग्लादेशी क्यों नहीं पकड़ा गया। उन्होंने आंकड़े दिए कि यूपीए के समय 2005 से 2014 तक 77,156 बांग्लादेशियों को भेजा गया था। लेकिन एनडीए में 2015 से 2017 तक सिर्फ 833। 2018 से 2024 का डेटा ही नहीं है।
विपक्ष का कहना है कि बीजेपी वोट चोरी को घुसपैठ से जोड़ रही है। राजनीतिक विश्लेषक सज्जन कुमार सिंह कहते हैं कि कांग्रेस ने संविधान खतरे के मुद्दे से हटकर वोट चोरी पर फोकस किया है। बीजेपी ने जवाब में कांग्रेस को घुसपैठियों का साथी बताया। सिंह का मानना है कि ये मुद्दा सीमांचल में काम कर सकता है लेकिन पूरे बिहार में नहीं। जेडीयू के रुख से बीजेपी को दिक्कत होगी। झारखंड चुनाव में भी बीजेपी ने यही नारा आजमाया था लेकिन हार गई। बिहार चुनाव 2025 में ये नैरेटिव एनडीए की एकता को टेस्ट करेगा।





























