महाराष्ट्र के कई जिलों में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने आम जनजीवन को तहस-नहस कर दिया है। मराठवाड़ा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहां पिछले 24 घंटों में करीब 10 लोगों की जानें चली गई हैं। इस दौरान लगभग 11,800 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को बाढ़ की गंभीर स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। बैठक में मराठवाड़ा के छत्रपति संभाजीनगर, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, धाराशिव, परभणी और सोलापुर जिलों के कलेक्टर भी मौजूद थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सबसे गंभीर स्थिति छत्रपति संभाजीनगर और नांदेड़ जिलों में है। जयकवाड़ी बांध से पानी छोड़ने के बाद गोदावरी नदी का जलस्तर बढ़ गया और कई इलाकों में बाढ़ आ गई। निचले इलाके पूरी तरह जलमग्न हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है।
मराठवाड़ा में बारिश का सिलसिला 20 सितंबर से शुरू हुआ और तब से लगातार जारी है। इसके कारण हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि, घर और सड़कें प्रभावित हुई हैं। कई गांवों का संपर्क टूट गया है और निचली सड़कें और पुल पानी में डूब गए हैं। किसानों की फसलें भी भारी नुकसान झेल रही हैं।
मौसम विभाग ने रविवार की तरह सोमवार को भी रेड अलर्ट जारी किया है। विभाग के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे तेज बारिश और बाढ़ के दौरान सुरक्षित स्थानों पर रहें। एनडीआरएफ की टीमों और सेना को भी अलर्ट पर रखा गया है। अधिकारियों ने लोगों को माइक के जरिए सतर्क किया और तत्काल सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दी।
यह बाढ़ केवल मराठवाड़ा के लोगों के लिए ही चुनौती नहीं है, बल्कि राज्य के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। लगातार बारिश और जलस्तर बढ़ने के कारण प्रशासन की तत्परता और नागरिकों की सतर्कता ही जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है।
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