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महाराष्ट्र में बाढ़ का कहर: 104 मौतें, हजारों पशु बहे और 2400 करोड़ का नुकसान

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महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ की तबाही से जूझ रहा है। केवल चार महीनों में हुई लगातार बारिश ने न सिर्फ गांव-गांव का स्वरूप बदल दिया, बल्कि हजारों परिवारों की जिंदगी भी अस्त-व्यस्त कर दी है।

1 जून से 29 सितंबर के बीच मराठवाड़ा के आठ जिले – छत्रपती संभाजीनगर, जालना, बीड, धाराशिव, लातूर, नांदेड़, परभणी और हिंगोली में भारी तबाही दर्ज की गई है। इस अवधि में मराठवाड़ा क्षेत्र में 104 लोगों की मौत हुई, 2838 पशु बह गए और 3050 गांव प्रभावित हुए। सबसे ज्यादा 28 मौतें नांदेड़ जिले में हुईं, जबकि बीड जिले में सबसे अधिक 685 पशु मरे। इस आपदा ने हजारों करोड़ की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया।

बाढ़ ने केवल जानों को ही नहीं लिया, बल्कि आधारभूत ढांचे को भी बुरी तरह प्रभावित किया। 2701 लंबी सड़कें, 1504 पुल, 1064 स्कूल, 58 स्थानीय सरकारी कार्यालय, 352 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 392 जल पाइपलाइन योजनाएं पूरी या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं। इन सबकी मरम्मत और पुनर्निर्माण पर लगभग 2432 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है।

सरकारी राहत और बचाव कार्यों के तहत अब तक लगभग 11,800 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हालात की समीक्षा की और अधिकारियों को मराठवाड़ा क्षेत्र में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। संभागीय आयुक्त जितेंद्र पापलकर ने कहा कि जिन किसानों को फसलों का नुकसान हुआ है, उन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके लिए किसानों को अपनी ई-केवाईसी करानी होगी, ताकि मुआवजा सीधे उनके खाते में भेजा जा सके।

हालांकि बाढ़ का स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन गोदावरी नदी के किनारे बसे निचले इलाकों में खतरा अब भी बरकरार है। प्रशासन ने वहां रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और अलर्ट का पालन करने की चेतावनी दी है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में ये बाढ़ केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि हजारों लोगों की जिंदगी और भविष्य पर गहरा असर डाल रही है। आने वाले दिनों में सरकार की राहत और पुनर्वास योजनाएं ही प्रभावित परिवारों के लिए उम्मीद की किरण साबित होंगी।

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