मुंबई: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में इन दिनों अन्य दलों से नेताओं और कार्यकर्ताओं के आने की जो ‘इनकमिंग’ की लहर चल रही है, उसने महाराष्ट्र की राजनीति के अनुभवी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को चिंता में डाल दिया है। नागपुर जिले के कलमेश्वर में एक विकास कार्य के भूमिपूजन कार्यक्रम में बोलते हुए, गडकरी ने बिना किसी का नाम लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को एक स्पष्ट और तीखी चेतावनी दी है।
उनकी नसीहत का सार यह है कि अगर पार्टी ने अपने पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की, तो संगठन की मौजूदा रफ्तार थम सकती है और पतन भी शुरू हो सकता है।
गडकरी का नागपुरी अंदाज़: ‘घर की मुर्गी’ बनाम ‘सावजी चिकन’। गडकरी ने अपने ठेठ नागपुरी अंदाज़ में, एक साधारण लेकिन मार्मिक उदाहरण से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा पुराने कार्यकर्ता ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ जैसे हैं, जबकि बाहर से आने वाले लोग ‘सावजी चिकन मसाला’ की तरह आकर्षक लगते हैं।
View this post on Instagram
यह उपमा बताती है कि जिस तरह घर का सादा भोजन (पुराने कार्यकर्ता) भले ही पौष्टिक और विश्वसनीय हो, लेकिन उसकी कद्र नहीं होती, वहीं बाहर से आए नए, चमक-दमक वाले लोग (सावजी चिकन मसाला) तुरंत आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। गडकरी का इशारा साफ है: पार्टी नेतृत्व का ध्यान नए ‘आकर्षक’ चेहरों पर तो है, लेकिन जो कार्यकर्ता सालों से संगठन की रीढ़ हैं, उनकी उपेक्षा हो रही है।
संगठन को गडकरी की ‘चेतावनी’
गडकरी ने पार्टी की बढ़ती रफ्तार पर खुशी ज़ाहिर की, लेकिन साथ ही भविष्य के खतरे से भी आगाह किया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा अगर पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई, तो जिस रफ़्तार से पार्टी ऊपर जा रही है, उतनी ही तेजी से नीचे भी आ सकती है।
यह बयान महज़ एक सलाह नहीं है, बल्कि उस बुनियादी संगठनवाद की याद दिलाता है जिस पर बीजेपी दशकों से टिकी हुई है। गडकरी, जो स्वयं संघ और संगठन की पृष्ठभूमि से आते हैं, जानते हैं कि चुनाव और सरकारें भले ही बड़े नेताओं के दम पर चलती हों, लेकिन ज़मीनी स्तर पर पार्टी की मशीनरी पुराने कार्यकर्ताओं के निस्वार्थ समर्पण से ही चलती है।
इस नसीहत के पीछे के कारण
नितिन गडकरी की यह सार्वजनिक टिप्पणी महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और बीजेपी की संगठनात्मक रणनीति पर कई सवाल उठाती है:
- पुराने कार्यकर्ताओं में असंतोष: बड़े पैमाने पर एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं का बीजेपी में आना, खासकर आगामी BMC चुनाव और विधानसभा चुनावों से पहले, पुराने कार्यकर्ताओं को यह संदेश दे रहा है कि उनके वर्षों के संघर्ष का फल बाहर से आए लोगों को मिलेगा।
- संगठन की उपेक्षा: बाहर से आए नेताओं को अक्सर टिकट, पद और महत्व दिया जाता है, जिससे ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले निष्ठावान कार्यकर्ताओं में हताशा और उपेक्षा का भाव पैदा होता है।
- संगठनात्मक अस्थिरता: गडकरी ने आगाह किया है कि अगर यह असंतोष बढ़ता है, तो कार्यकर्ता निष्क्रिय हो जाएंगे, जिससे पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कमज़ोर होगा और भविष्य में हार का सामना करना पड़ सकता है।
गडकरी की यह नसीहत बताती है कि बीजेपी को अपनी ‘मिशन विस्तार’ की रणनीति में संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत है। ‘इनकमिंग’ ज़रूरी है, लेकिन ‘इंटेग्रिटी’ (अखंडता) और ‘निष्ठा’ को बरकरार रखना संगठन की दीर्घकालिक सफलता के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।































