छत्तीसगढ़ ट्रेन हादसा: बिलासपुर में मंगलवार को हुआ रेल हादसा अब पूरे देश को झकझोर रहा है। इस भीषण दुर्घटना में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक यात्री घायल हुए हैं। अब जांच में हादसे का असली कारण सामने आ गया है, जिसने रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुआ हादसा?
मंगलवार शाम करीब 4 बजे ये हादसा बिलासपुर रेलवे स्टेशन के पास हुआ। मेमू (Mainline Electric Multiple Unit) लोकल ट्रेन नंबर 68733, जो गेवरा (कोरबा जिले) से बिलासपुर की ओर आ रही थी, ने रेड सिग्नल तोड़ दिया। तेज रफ्तार में चल रही इस ट्रेन ने मालगाड़ी के पिछले हिस्से में जोरदार टक्कर मार दी।
टक्कर इतनी भयानक थी कि यात्री ट्रेन का एक कोच मालगाड़ी के डिब्बे के ऊपर चढ़ गया। यात्रियों के बीच अफरा-तफरी मच गई और कई लोग डिब्बों में फंस गए। हादसे के तुरंत बाद रेलवे और स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
हादसे की वजह क्या थी?
बुधवार को जारी प्राथमिक रिपोर्ट में इस दुर्घटना का कारण स्पष्ट हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, “लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट रेड सिग्नल (खतरे के संकेत) पर ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहे।”
दुर्घटना के समय:
AJ-5 ऑटो सिग्नल 15:31:29 बजे लाल (Red) स्थिति में था।
ट्रेन ने 15:50:38 बजे इस सिग्नल को पार किया और कब्जे वाले सेक्शन में प्रवेश कर गई।
इस गलती के कारण ट्रेन सीधे सामने खड़ी मालगाड़ी से जा टकराई। दोनों लोको पायलट भी गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें मोटर कोच के अंदर घायल अवस्था में पाया गया।
राहत-बचाव और घायलों की स्थिति
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, हादसे के बाद घायलों को तुरंत बिलासपुर के अपोलो अस्पताल, सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) और अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया। एक अधिकारी ने बताया, “टक्कर के समय ट्रेन की गति लगभग 60 से 70 किमी प्रति घंटा थी। मालगाड़ी का गार्ड आखिरी पल में कूद गया, जिससे वह बड़ी चोटों से बच गया।”
मुआवजे की घोषणा
दुर्घटना के बाद भारतीय रेलवे ने राहत पैकेज का ऐलान किया है, जिसके तहत मृतकों के परिजनों को ₹10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल यात्रियों को ₹5-5 लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों को ₹1-1 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।
वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी हादसे पर गहरा दुख जताया और राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिवारों को ₹5-5 लाख रुपये और घायलों को ₹50,000 रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की।
ट्रेन सुरक्षा पर उठे सवाल
ये हादसा एक बार फिर भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली और सिग्नलिंग व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। प्रारंभिक रिपोर्ट में मानवीय गलती को मुख्य कारण बताया गया है, लेकिन रेलवे ने तकनीकी जांच समिति गठित की है, जो ये पता लगाएगी कि सिग्नल फेलियर या संचार की कोई गड़बड़ी तो नहीं थी।
बिलासपुर ट्रेन हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि सुरक्षा मानकों पर जरा सी चूक कितनी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है। रेल प्रशासन अब इस घटना को “SPAD (Signal Passed at Danger)” केस के रूप में जांच रहा है।
देश इस हादसे में मारे गए यात्रियों के प्रति शोक व्यक्त कर रहा है और उम्मीद कर रहा है कि भविष्य में ऐसी लापरवाही फिर न दोहराई जाए।






























