महाराष्ट्र

पार्थ पवार की कंपनी को ₹43 करोड़ का स्टाम्प ड्यूटी नोटिस

पार्थ पवार की कंपनी को ₹43 करोड़ का स्टाम्प ड्यूटी नोटिस
पार्थ पवार की कंपनी को ₹43 करोड़ का स्टाम्प ड्यूटी नोटिस
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया होल्डिंग्स एलएलपी को कथित रूप से एक बड़े जमीन सौदे को रद्द करने के लिए मुद्रांक शुल्क (Stamp Duty) विभाग द्वारा एक बड़ा नोटिस जारी किया गया है।नोटिस की मुख्य बातें और देय राशि
मुंढवा, पुणे स्थित लगभग 40 एकड़ (करीब 16.19 हेक्टेयर) जमीन के सौदे को रद्द करने की प्रक्रिया के तहत, स्टाम्प ड्यूटी विभाग ने कंपनी को ₹43 करोड़ के लगभग की राशि भरने का निर्देश दिया है। यह राशि भरने के बाद ही जमीन के सौदे को आधिकारिक रूप से रद्द किया जाएगा।
 देय राशि का आधार: विभाग का कहना है कि सौदे को रद्द करने के लिए नियमानुसार जितनी स्टाम्प ड्यूटी लगती, उतनी ही राशि कंपनी को भरनी होगी।
कुल स्टाम्प ड्यूटी का प्रावधान: सामान्य रूप से, सौदे की कुल रकम का 7% स्टाम्प ड्यूटी भरना अनिवार्य होता है। इसमें निम्न दरें शामिल हैं:
  • 5% स्टाम्प ड्यूटी
  • 1% मेट्रो शहर ड्यूटी
उल्लेखित जानकारी के अनुसार, अनिवार्य स्टाम्प ड्यूटी पर दो गुना जुर्माना भी भरना होगा। हालांकि, खबरों के अनुसार यह राशि व्यवहार रद्द करने के लिए आवश्यक फीस के रूप में बताई गई है, न कि सीधे दो गुना जुर्माना।
1800 करोड़ का कथित जमीन घोटाला
यह नोटिस उस बड़े विवाद से जुड़ा है जिसमें पार्थ पवार की कंपनी का नाम आया है।
  • विवादित जमीन: यह मामला पुणे के मुंढवा इलाके में स्थित ‘महार वतन’ श्रेणी की करीब 40 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जो ऐतिहासिक रूप से सरकारी मानी जाती है।
  • कथित अनियमितता: आरोप है कि इस बेशकीमती सरकारी जमीन, जिसका बाजार मूल्य लगभग ₹1,800 करोड़ आंका गया है, को अमेडिया होल्डिंग्स एलएलपी ने कथित तौर पर मात्र ₹300 करोड़ में खरीदा।
  • स्टाम्प ड्यूटी में छूट का आरोप: सबसे बड़ा आरोप यह है कि कंपनी ने पूरी ₹21 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी (जो ₹300 करोड़ के सौदे पर बनती थी) भरने के बजाय, केवल ₹500 की मामूली राशि भरी। कंपनी ने कथित तौर पर आईटी पार्क/डेटा सेंटर नीति का हवाला देकर ड्यूटी में छूट प्राप्त की थी, लेकिन बाद में परियोजना रद्द होने पर भी पूर्ण ड्यूटी नहीं चुकाई गई।
  • एफआईआर और जांच: इस मामले में अब तक दो एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। इन एफआईआर में कंपनी के साझेदारों और सरकारी अधिकारियों के नाम हैं, लेकिन पार्थ पवार का नाम सीधे तौर पर शामिल नहीं है।
  • उच्च स्तरीय जांच: मामले की गंभीरता को देखते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने इस सौदे की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आने की उम्मीद है।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार का पक्ष
विवाद बढ़ने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने स्पष्ट किया है कि:
  • यह सौदा अब रद्द हो चुका है।
  • पार्थ या उनके परिवार के किसी सदस्य ने विक्रेता को कोई भुगतान नहीं किया था और जमीन का कब्जा भी नहीं लिया गया था।
  • पार्थ और उनके साझेदारों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि खरीदी गई जमीन सरकारी है।
यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति में गरमाया हुआ है और स्टाम्प ड्यूटी नोटिस तथा उच्च-स्तरीय जांच से इस सौदे से जुड़े सभी पहलुओं पर जल्द ही और जानकारी सामने आने की उम्मीद है।

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