बिहार की राजनीति में सोमवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब नीतीश कुमार ने गांधी मैदान में एक भव्य समारोह के दौरान मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर राज्य में अपनी नेतृत्व यात्रा का दसवां अध्याय शुरू किया। हालिया विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 202 सीटों की शानदार सफलता मिली थी, जिसके बाद ये शपथ ग्रहण समारोह राजनीतिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बन गया।
गांधी मैदान में आयोजित इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कई केंद्रीय मंत्री, NDA के घटक दलों के शीर्ष नेता, NDA शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और देशभर के प्रमुख राजनीतिक चेहरे कार्यक्रम में शामिल हुए। मंच पर सभी नेताओं का एक साथ मौजूद होना आने वाले कार्यकाल के लिए गठबंधन की एकजुटता का संदेश देता दिखा।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उनके बाद सम्राट चौधरी ने शपथ लेकर लगातार दूसरी बार उपमुख्यमंत्री का पद संभाला। विजय सिन्हा ने भी डिप्टी सीएम के रूप में फिर से जिम्मेदारियां ग्रहण कीं। इसके बाद मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों को क्रमवार शपथ दिलाई गई, जिनमें लेशी सिंह, मदन सहनी, नितिन नवीन, रामकृपाल यादव, संतोष सुमन और सुनील कुमार शामिल रहे।
राज्यपाल ने एक अन्य चरण में विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, मंगल पांडेय और दिलीप जायसवाल को मंत्रिपद की शपथ दिलाई। इस व्यापक मंत्रिमंडल का गठन ये दर्शाता है कि विभिन्न क्षेत्रों और सामाजिक वर्गों को संतुलित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है। मंत्रियों की सूची में अशोक चौधरी, जमा खान, संजय सिंह टाइगर, अरुण शंकर प्रसाद, सुरेंद्र मेहता, नारायण प्रसाद, रमा निषाद, लखेंद्र कुमार रोशन, श्रेयसी सिंह, प्रमोद कुमार, संजय कुमार सिंह और दीपक प्रकाश जैसे नाम शामिल किए गए हैं, जिनसे सरकार के प्रशासनिक ढांचे को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
शपथ ग्रहण समारोह में लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने भी मंच पर पहुंचकर सभी वरिष्ठ नेताओं से आशीर्वाद लिया। चिराग पासवान की ओर से उनकी पार्टी के तीन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने की इच्छा व्यक्त की गई थी, हालांकि पहले चरण में उनकी पार्टी से केवल एक मंत्री ने शपथ ली, जबकि बाकी को बाद में शामिल किए जाने की संभावना जताई गई।
गांधी मैदान में सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व रही। कार्यक्रम की सुरक्षा एसपीजी ने संभाली और पूरे मैदान में त्रिस्तरीय सुरक्षा कवच बनाया गया। मैदान के भीतर और बाहर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई, जबकि जिला पुलिस बल भी पूरे क्षेत्र में निगरानी में जुटा रहा ताकि समारोह में किसी भी तरह की बाधा न उत्पन्न हो।
ये शपथ ग्रहण समारोह केवल सत्ता हस्तांतरण का औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि बिहार में स्थिरता, सियासी संतुलन और विकास की नई दिशा का संकेत भी था। अब राज्य की निगाहें इस नई सरकार की नीतियों और फैसलों पर होंगी, जो आगामी वर्षों में बिहार की राजनीतिक और विकास यात्रा को आकार देंगे।
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