पालघर जिले के विक्रमगड तालुका में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां उटावली आदर्श विद्यालय में पढ़ने वाले 11 वर्षीय छात्र पर तेंदुए ने हमला कर दिया। ये घटना उस समय हुई जब बच्चा रोज की तरह जंगल से गुजरने वाले रास्ते से अपने घर लौट रहा था। अचानक हुए हमले से पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई, लेकिन बच्चों की बहादुरी और त्वरित प्रतिक्रिया ने एक बड़ी दुर्घटना होने से रोक दिया।
कैसे हुआ तेंदुए का हमला?
पीड़ित छात्र मयंक विष्णु कुवरा हर दिन की तरह स्कूल से निकलकर लगभग 4 किलोमीटर दूर स्थित अपने घर, माला पाडवीपाड़ा, जा रहा था। शाम के समय वो जंगल वाले रास्ते से गुजर रहा था, तभी झाड़ियों में घात लगाए बैठे तेंदुए ने अचानक उस पर झपट्टा मारा।
तेंदुए के पंजे सीधे मयंक के स्कूल बैग पर पड़े। यही बैग उसके लिए ढाल बन गया, जिसने उसकी छाती और पीठ को गंभीर चोटों से बचा लिया। हालांकि हमला इतना तेज था कि मयंक के हाथ पर गहरे घाव हो गए और बाद में डॉक्टरों को उसके हाथ में कई टांके लगाने पड़े।
बच्चों ने दिखाई जबरदस्त बहादुरी
हमले के दौरान मयंक घबराया नहीं और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसी समय उसके साथ मौजूद एक और बच्चे ने हिम्मत दिखाते हुए तेंदुए पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। बच्चों की आवाज़ और पत्थरबाज़ी से घबराकर तेंदुआ पीछे हट गया और जंगल की ओर भाग गया।
चिल्लाहट सुनकर आसपास के ग्रामीण भी मौके पर दौड़कर पहुंचे, जिसके बाद तेंदुआ पूरी तरह भाग गया। बच्चों की सूझबूझ और साहस की पूरे क्षेत्र में प्रशंसा हो रही है।
पहले से था तेंदुए की मौजूदगी का डर
स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से इस इलाके में तेंदुआ दिखाई देने की घटनाएं बढ़ गई थीं। ग्रामीणों ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर लोगों को सावधान रहने की सलाह भी दी थी। बावजूद इसके, कई बच्चे स्कूल आने-जाने के लिए इसी जंगल वाले रास्ते का उपयोग करते थे।
ताजा घटना के बाद गांव में भय का माहौल और गहरा हो गया है। अभिभावकों और ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए।
घायल छात्र का इलाज जारी, वन विभाग पर सवाल
हमले के तुरंत बाद मयंक को विक्रमगड ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसके घावों पर टांके लगाए। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा खतरे से बाहर है।
घटना के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग से तेज कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि स्कूल के आसपास और जंगल मार्ग पर गश्त बढ़ाई जाए, बच्चों के आने-जाने वाले मार्ग पर सुरक्षा इंतज़ाम किए जाएं और और तेंदुए की गतिविधि को लेकर क्षेत्र में निगरानी मजबूत की जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि सुरक्षा व्यवस्था पहले ही बढ़ा दी जाती, तो ये घटना शायद टल सकती थी।
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