ठाणे महानगरपालिका ने गणेश चतुर्थी पर प्लास्टर ऑफ पेरिस की बजाय प्राकृतिक चीज़ों से बनी मूर्तियों के विसर्जन की अपील की है। इससे जल प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी।
प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियां पानी में आसानी से नहीं घुलती हैं। इससे नदियों, तालाबों और समुद्र का पानी प्रदूषित होता है और जलीय जीवों के लिए खतरा पैदा होता है। मिट्टी से बनी मूर्तियां पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होती हैं।
ठाणे महानगरपालिका (TMC) ने नागरिकों से प्लास्टिक और थर्मोकोल के इस्तेमाल से पूरी तरह बचने की अपील की है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) की तकनीकी समिति की फरवरी बैठक में, सभी महानगरपालिकाओं और नगर पालिकाओं को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33 ए के तहत निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें, नागरिकों को अधिक पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों का उपयोग करने के लिए जन जागरूकता बढ़ाने के सुझाव दिए गए हैं। साथ ही, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मई-2020 में जारी संशोधित दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश भी हैं, जिसमें निर्वहन प्रणाली और स्वच्छ जल प्रबंधन से संबंधित दिशानिर्देश शामिल हैं।
कृत्रिम तालाबों और बड़े पानी के टैंकों का इस्तेमाल कर मूर्तियों के विसर्जन की बड़े पैमाने पर व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, इस निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन विसर्जित मूर्तियों को 24 घंटे के भीतर वैज्ञानिक तरीके से व्यवस्थित किया जाना चाहिए। ऐसी अस्थायी निपटान व्यवस्था नदियों, झीलों के किनारे आदि के पास भी की जानी चाहिए। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि त्योहार के दौरान विसर्जन के लिए मूर्ति संग्रह केंद्र भी शुरू किए जाने चाहिए।
महानगरपालिका के मुख्य पर्यावरण अधिकारी मनीषा प्रधान ने बताया कि इन निर्देशों के अनुसार, ठाणे महानगरपालिका विसर्जन की व्यवस्था करती है। संशोधित दिशानिर्देशों को भी ठीक से लागू किया जाएगा। इस संबंध में हाल ही में महानगरपालिका ने मूर्तिकारों की एक बैठक भी आयोजित की थी।
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ठाणे महानगरपालिका की यह अपील पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से सराहनीय है। गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्यौहारों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाने से प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है।