मुंबई

मुलुंड मजिस्ट्रेट अदालत की जर्जर इमारत पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मांगा महाराष्ट्र सरकार से जवाब

मुलुंड मजिस्ट्रेट अदालत की जर्जर इमारत पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मांगा महाराष्ट्र सरकार से जवाब
Credit: nicelocal
मुंबई के मुलुंड इलाके में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालतों को रखने वाली टोपीवाला इमारत की जर्जर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए एक याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में जल्द से जल्द एक नए भवन के निर्माण की भी मांग की गई है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने रिट याचिका में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। यह याचिका अधिवक्ता संतोष आर दुबे ने दायर की थी, जिन्होंने प्रस्तुत किया कि 1945 में बनी इस इमारत में कई सरकारी विभाग भी हैं।

दुबे ने कहा कि तकनीकी ऑडिट रिपोर्ट, जो कार्यकारी अभियंता (PWD) विशेष परियोजना प्रभाग द्वारा जारी 10 अप्रैल, 2017 के पत्र से परिलक्षित होती है, के अनुसार भवन जर्जर हालत में है। उन्होंने आगे कहा कि तकनीकी ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इमारत “आर्थिक रूप से अक्षम” है। दुबे ने कहा कि टोपीवाला भवन के विभिन्न हिस्सों में छतें ढहने की कई घटनाएं हुईं, सौभाग्य से किसी की जान नहीं गई। याचिका में कहा गया है कि हितधारक 2005 से ही एक नए भवन की मांग कर रहे हैं।  नई प्रशासनिक इमारत और अदालत भवन के निर्माण के लिए प्रशासनिक मंजूरी नहीं दी गई है, जिससे कर्मचारियों, आगंतुकों, वकीलों और सरकारी संपत्ति के जीवन को बड़ा खतरा है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, “पुराने भवन की स्थिति में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। हालांकि, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि नए प्रशासनिक भवन और अदालत भवन के निर्माण का कार्य अब तक प्रारंभ नहीं हो पाया है।”

याचिका में नए प्रशासनिक भवन और अदालत भवन के निर्माण को पूरा करने और उसके लिए पर्याप्त धन के प्रावधान सहित कई राहतें मांगी गई हैं। हालांकि खंडपीठ याचिका में लिखी गई मांगों (prayers) से संतुष्ट नहीं थी क्योंकि वे ठीक से प्रस्तुत नहीं किए गए थे, फिर भी, जनहित को ध्यान में रखते हुए, इस पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों से जवाब मांगने का फैसला किया।

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