मुंबई पुलिस ने कथित फर्जी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (TRP) मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी सहित 22 आरोपियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने की याचिका दायर की थी, जिसे स्थानीय अदालत ने अनुमति दे दी है।
एस्प्लेनेड की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा द्वारा ‘फर्जी’ टीवी रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) मामले में अर्नब गोस्वामी सहित 22 आरोपियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने के आग्रह को स्वीकार कर लिया। राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर में मुंबई पुलिस के माध्यम से मामला वापस लेने के लिए एक आवेदन दायर किया था।
पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरे की दलीलों के बाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एल एस पाढेन ने प्राथमिकी वापस लेने की अनुमति दे दी। हिरे ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से मामले में दोषसिद्धि नहीं हो सकती है। इसलिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 321 (अभियोजन वापस लेना) के तहत दायर आवेदन को स्वीकार किया जाना चाहिए। अदालत का विस्तृत निर्णय जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा।
हिरे ने दावा किया कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI), ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) इंडिया, या किसी भी विज्ञापनदाता ने आज तक यह दावा नहीं किया है कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए निष्कर्ष निकाला कि मामले में दोषसिद्धि नहीं हो सकती है। इसलिए न्यायिक समय और सरकारी प्रयासों को बर्बाद करने के बजाय मामले को वापस लेना ज्यादा उपयुक्त है।
मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा प्रस्तुत विरोधाभासी रिपोर्टों का जिक्र करते हुए हिरे ने कहा कि गवाह मुंबई पुलिस की प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों का समर्थन नहीं करते हैं।
नवंबर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के गृह विभाग द्वारा मुंबई पुलिस की जांच में विरोधाभास सहित कई मुद्दों का हवाला देते हुए मामला वापस लेने का निर्णय लिया गया था। महा विकास अघाड़ी सत्ता में रहने के दौरान तत्कालीन सहायक निरीक्षक सचिन वाझे के नेतृत्व में क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) ने 2020 में इस मामले में जांच शुरू की थी। TRP मापन के लिए कुछ घरों को अवैध भुगतान करके टीवी चैनलों की रेटिंग में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया था।