महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मराठी भाषा नीति को मंजूरी दी है, जिसका लक्ष्य मराठी को बढ़ावा देना और इसका संरक्षण करना है। इस नीति के तहत कुछ अहम सिफारिशें की गई हैं, जिनमें से एक जूनियर कॉलेज (कक्षा 11 और 12) में मराठी विषय को अनिवार्य करना भी शामिल है।
इस नीति में अन्य सिफारिशों में प्री-स्कूल में सभी बच्चों को मराठी अक्षर सिखाना (चाहे स्कूल का माध्यम कुछ भी हो) और यूनिवर्सिटी में दो-क्रेडिट के लिए मराठी को अनिवार्य विषय बनाना भी शामिल है। नई नीति अगले 25 वर्षों के लिए है और इसमें शिक्षा, उद्योग, प्रशासन, कानून जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मराठी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के सुझाव दिए गए हैं।
हालांकि, नीति का सबसे अहम लक्ष्य मराठी को शिक्षा का हिस्सा बनाना है। इसमें साफ कहा गया है कि मराठी में पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाएगा, लेकिन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की बढ़ती संख्या और माता-पिता के रुझान को देखते हुए ‘शानदार मराठी के साथ शानदार अंग्रेजी’ के सिद्धांत पर काम किया जाएगा। महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में कक्षा 1 से 10 तक मराठी अनिवार्य विषय होगा, चाहे स्कूल का माध्यम कुछ भी हो।
मराठी स्कूल मैनेजमेंट्स एसोसिएशन के सुशील शेजुले का कहना है कि क्या इस नीति का असरदार तरीके से पालन होगा, इस पर सवाल उठते हैं। इसी तरह का आदेश 2020 में भी आया था लेकिन कागज़ों पर ही रह गया।
उच्च शिक्षा में, दो-क्रेडिट कोर्स को अनिवार्य बनाने के अलावा, नीति यह भी कहती है कि मराठी में शोध के लिए पर्याप्त धन दिया जाए।