अगर इधर के कुछ सालों में भारतीय बाज़ार से विदेशी निवेशक मुंह मोड़ रहे थे, तो वित्त वर्ष 24 में उन्होंने फिर से लौटने का मन बना लिया है! FPI ने इस साल भारतीय शेयरों में ₹2 लाख करोड़ से भी ज़्यादा की मोटी रकम निवेश की है।
FPIs यानि Foreign Portfolio Investors वो बड़ी-बड़ी विदेशी फाइनेंशियल संस्थाएं होती हैं जो दूसरे देशों के शेयर और बॉन्ड बाज़ार में निवेश करती हैं। भारत जैसे उभरते हुए बाज़ार के लिए FPI का निवेश बहुत मायने रखता है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।
मगर, पिछले दो वित्त वर्षों (FY22 और FY23) में FPIs भारतीय बाज़ार में खरीदारी की जगह बिकवाली पर ज़ोर दे रहे थे।
लेकिन, FY24 में पलटी बाज़ी!
बदला हुआ नज़रिया: जहाँ पहले FPI भारतीय बाज़ार से पैसा निकाल रहे थे, FY24 में उन्होंने ₹2.08 लाख करोड़ शेयरों में और ₹1.2 लाख करोड़ बॉन्ड बाज़ार में लगा दिए हैं। यानि कुल मिलाकर ₹3.4 लाख करोड़!
क्यों किया भरोसा?: विशेषज्ञ बताते हैं कि FPI ने भारत की तरफ आकर्षित होने के पीछे कुछ बड़े कारण हैं:
मज़बूत भारतीय अर्थव्यवस्था: वैश्विक मंदी के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था में स्थिरता आना बड़ी बात है!
ब्याज दरों का खेल: अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े देशों में बढ़ती ब्याज दरों ने भी निवेशकों के फ़ैसलें बदले हैं।
भू-राजनीतिक हालात: रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी बड़ी वैश्विक घटनाएं भी निवेश बाज़ारों को प्रभावित करती हैं। FPI भारत को एक तुलनात्मक रूप से सुरक्षित विकल्प मान सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये पलटाव भारतीय बाज़ार के लिए एक बहुत अच्छा संकेत है। निवेशकों का यह भरोसा भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित होगा।
अगर भारत की अर्थव्यवस्था लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रही तो FY25 में भी FPI का निवेश भारत के पक्ष में रहने की पूरी उम्मीद है।