देशभर में लोकसभा चुनाव की तैयारियां अपने चरम पर है। 19 अप्रैल से चुनाव का पहला चरण शुरू होने जा रहा है। ऐसे में इलेक्शन कमीशन की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है कि, कहीं से भी सुरक्षा इंतजाम में कोई चूक ना रह जाए। इस सिलसिले में कई प्राइवेट कार के मालिकों को भी तलब किया जा रहा है। अब ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि, क्या इलेक्शन ड्यूटी के लिए प्रशासन किसी की पर्सनल प्राइवेट कार भी ले सकता है क्या? तो इसका जवाब है हां।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 160 में इस कानून का जिक्र है। इसके मुताबिक इलेक्शन से जुड़े कार्यों के लिए प्रशासन की ओर से किसी के प्राइवेट कार की डिमांड की जा सकती है। बता दें कि पर्सनल कार की मांग कोई चुनाव लड़ रही पार्टियां अपने कार्य के लिए नहीं कर सकती, बल्कि ये मांग सिर्फ और सिर्फ सरकार की ओर से की जा सकती है। इन गाड़ियों का इस्तेमाल मतपेटियों के लाने- ले जाने या फिर चुनाव के दिनों में व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी किया जा सकता है। ना सिर्फ कार, बल्कि प्रशासन की ओर से आपके परिसर की भी डिमांड की जा सकती है। यहां एक और महत्वपूर्ण जानकारी ये है कि, ये सारे आदेश लिखित तौर पर दिए जाते हैं। मौखिक तौर पर कुछ नहीं होता है।
जानकारी कैसे दी जाती है?
इलेक्शन से काफी पहले ही डाक के द्वारा गाड़ी मालिकों को इसकी सूचना दी जाती है। सूचना में बताया जाता है कि गाड़ी को कब, कितने दिनों के लिए और कहां जमा करना है। ना सिर्फ सूचना दी जाती है, बल्कि समय रहते इसके लिए गाड़ी मालिकों को नोटिस भी जारी किया जाता है।
प्रशासन को क्यों पड़ती है गाड़ियों की जरूरत?
अब इस बात से तो आप वाकिफ होंगे ही, कि इलेक्शन के दौरान प्रशासन को बहुत सारे काम होते हैं। इसमें सबसे ज्यादा अहम जो होता है, वो है कि चुनाव में पारदर्शिता बनाए रखने और सेफ्टी के ख्याल से निगरानी सुरक्षा चाक-चौबंध रखनी पड़ती है, जिसके लिए ज्यादा ये ज्यादा संख्या में गाड़ियों की जरूरत पड़ती है। इल्केशन ड्यूटी में तैनात फ्लाइंग स्क्वाड, सुरक्षाबल और अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए हल्के और भारी, सभी तरह की गाड़ियों की आवश्यकता होता है। यहां तक कि मतपेटियों को एक जगह से दूसरे जगह तक ले जाने के लिए भी गाड़ियों की जरूरत पड़ती हैं।
कब गाड़ियां नहीं ली जा सकती हैं?
धारा 160 के सबसेक्शन में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि प्रशासन किन परिस्थियों में गाड़ी नहीं ले सकता है। अगर कोई राजनीतिक पार्टी या कोई उम्मीदवार कानूनी तौर पर पहले से ही गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हों तो एडमिनिस्ट्रेशन उस गाड़ी को नहीं ले सकता है।
इसके अलावा किसी व्यक्ति के पास अगर एक ही कार है और उसके बिना उसका रोज का काम नहीं हो सकता, या किसी के पास एक ही कार है और घर में कोई बीमार व्यक्ति है, तो भी वो व्यक्ति अपनी कार देने से इनकार कर सकता है। इसके लिए मौखिक नहीं, बल्कि लिखित तौर पर ये जानकारी प्रशासन को को देनी होगी। लेकिन अगर गाड़ी के बिना आपका काम चल सकता है और आपसे प्राशासन की ओर से गाड़ी की मांग की जाती है, तो आपको अपनी गाड़ी देनी ही होगी, नहीं तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
गाड़ी देने पर बदले में क्या मिलता है? (इलेक्शन ड्यूटी)
प्रशासन की ओर से गाड़ी मालिक की गाड़ी जितने दिनों के लिए ली जाएगी, उतने दिनों का किराया उसे दिया जाएगा। ये किराया मनमाना नहीं, बल्कि तय रमक होता है, जिसे चुनाव आयोग निश्चित करता है। अंत में ये क्लियर हो जाता है कि इलेक्शन ड्यूटी के लिए आपकी प्राइवेट कार ले सकता है प्रशासन।
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