हिंदी फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि किसी के सिर में चोट लगने से उसकी याददाश्त चली जाती है और दूसरी बार चोट लगने पर वापस आ जाती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के एक व्यक्ति की जिंदगी में ये फिल्मी कहानी सच बन गई। 45 साल पहले घर से लापता हुए रिखी राम जब अचानक से अपनी खोई हुई पहचान लेकर लौटे, तो पूरे परिवार की आंखें नम हो गईं।
16 की उम्र में हादसा, याददाश्त हुई गायब
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के सातौन क्षेत्र के नाड़ी गांव के रहने वाले रिखी राम सिर्फ 16 साल के थे, जब एक गंभीर हादसे में उनके सिर पर चोट लगी। इस चोट ने उनकी पूरी याददाश्त छीन ली। वो घर से भटकते-भटकते हरियाणा के यमुनानगर पहुंचे, जहां उन्होंने एक होटल में काम शुरू कर दिया।
रिखी राम बने ‘रवि चौधरी’
कुछ समय बाद वो मुंबई के दादर पहुंचे और फिर महाराष्ट्र के नांदेड़ चले गए। यहां उन्हें एक कॉलेज में नौकरी मिली। धीरे-धीरे लोगों ने उन्हें रिखी राम नहीं, बल्कि रवि चौधरी के नाम से जानना शुरू किया।
नई जगह, नया नाम और नई जिंदगी… 1994 में उनकी शादी महाराष्ट्र की संतोषी से हुई। दोनों के तीन बच्चे हैं – दो बेटियां और एक बेटा। रिखी यानी रवि अपनी नई पहचान में पूरी तरह रम गए थे, लेकिन उनके सपनों में अक्सर अपने गांव की गलियां, आम के पेड़ और पहाड़ दिखाई देते थे।
फिर लगी चोट… और लौट आई सारी यादें
कुछ महीने पहले रवि के साथ एक और हादसा हुआ। सिर में दोबारा चोट लगते ही मानो 45 साल पुराने बंद दरवाजे खुल गए। अचानक उनके सामने नाड़ी गांव की तस्वीरें साफ होने लगीं- पहाड़, पेड़, बचपन, परिवार… और उनका असली नाम ‘रिखी राम’। याददाश्त वापस आने के बाद उन्होंने अपने गांव का रास्ता तलाशना शुरू किया। धीरे-धीरे वो अपने परिजनों तक पहुंच गए।
45 साल बाद घर वापसी
जब रिखी 1980 में गायब हुए थे, तो परिवार ने लंबे इंतजार के बाद मान लिया था कि शायद अब वो लौटकर नहीं आएंगे। उनके भाई-बहन और रिश्तेदारों ने उन्हें मृत मान लिया था।
लेकिन जब वो अचानक घर के दरवाजे पर खड़े दिखे, तो परिवार की खुशी और भावुक पल शब्दों में बयां नहीं किए जा सकते। 45 साल पहले बिछड़ा बेटा, भाई और रिश्तेदार एक बार फिर से परिवार के बीच था।
जिंदगी की फिल्मी कहानी बनी हकीकत
रिखी राम की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। एक चोट ने जिंदगी बदल दी, दूसरी चोट ने पूरी जिंदगी वापस लौटा दी। नई पहचान के साथ महाराष्ट्र में घर-परिवार बसाने के बावजूद वो अपने भीतर कहीं न कहीं उससे जुड़ा एक धागा हमेशा महसूस करते रहे।
आज 61 साल की उम्र में वो फिर अपने असली घर में हैं, जहां वो कभी 16 साल का लड़का बनकर निकले थे।
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