इस कार्रवाई का विरोध तेज हो गया है. लोगों का कहना है कि मानसून के मौसम में झुग्गियां गिराना गैरकानूनी है. एक सरकारी आदेश (जीआर) का हवाला देते हुए उनका कहना है कि ये आदेश मानसून के दौरान किसी भी तरह के विध्वंस पर रोक लगाता है.
हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि वे सिर्फ सरकारी जमीन को खाली करवा रहे थे. यह जमीन दरिया किनारे वाले पेड़ों के बफर जोन में आती है, जहां झुग्गियों के कारण दिक्कतें हो रही थीं. वन विभाग का कहना है कि कुछ झुग्गियां तो सीधे मैंग्रोव के पेड़ों के पास तक आ गई थीं, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा था.
दूसरी तरफ पुलिस का कहना है कि कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें हिरासत में लिया गया. वहीं, झुग्गी में रहने वाले लोग बेरोजगार होने का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें कोई भी नोटिस नहीं दिया गया और अचानक से ये कार्रवाई की गई. उनका कहना है कि ज्यादातर रहने वाले कम्युनिटी के गरीब लोग हैं जो नाले साफ करने जैसे दिहाड़ी मजदूरी के काम करते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस कार्रवाई की निंदा की है. उनका कहना है कि चुनाव से पहले झुग्गियां गिराना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है. गौरतलब है कि 26 जून को मुंबई में द्विवार्षिक स्नातक और शिक्षक चुनाव होने वाले हैं.
बता दें, कुछ दिनों पहले ही पवई के जय भीम नगर में भी इसी तरह की कार्रवाई कर के 500 से ज्यादा झुग्गियों को गिराया गया था.
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