Aaple Sarkar Portal: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो राज्य में डिजिटल शासन और पारदर्शिता को और मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। उन्होंने सभी सरकारी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी अधिसूचित नागरिक सेवाओं को तुरंत आपले सरकार पोर्टल (Aaple Sarkar Portal) पर अपलोड करें। इस निर्देश का पालन न करने वाले विभागों को प्रतिदिन एक हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। यह कदम न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज करने का प्रयास है, बल्कि नागरिकों को समयबद्ध और पारदर्शी सेवाएं प्रदान करने की दिशा में भी एक बड़ा बदलाव है।
यह निर्देश मुंबई के मंत्रालय में आयोजित एक उच्च स्तरीय वॉर रूम बैठक के दौरान दिया गया, जिसमें मुख्यमंत्री ने स्वयं अध्यक्षता की। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण पहलों की प्रगति की समीक्षा की गई, जिनमें जनजातीय कल्याण योजनाएं, आपले सरकार पोर्टल (Aaple Sarkar Portal) पर अधिसूचित सेवाएं, सरकारी मेडिकल कॉलेजों का कार्यान्वयन और AgriStack परियोजना शामिल थीं। इस बैठक ने यह स्पष्ट किया कि सरकार डिजिटल माध्यमों के जरिए नागरिकों तक सेवाओं को पहुंचाने के लिए कितनी गंभीर है।
महाराष्ट्र में राइट टू सर्विस एक्ट के तहत कुल 1,027 सेवाओं को अधिसूचित किया गया है, लेकिन वर्तमान में केवल 527 सेवाएं ही आपले सरकार पोर्टल पर उपलब्ध हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अभी बहुत काम बाकी है। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे बाकी सेवाओं को भी समयबद्ध तरीके से पोर्टल पर अपलोड करें। उनका मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए सेवाओं को उपलब्ध कराने से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि नागरिकों को बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने महाआईटी (MahaIT) को निर्देश दिए हैं कि वे सेवाओं के डिजिटाइजेशन की जांच और प्रमाणन करें। साथ ही, तकनीकी उन्नयन की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा गया है, ताकि नागरिक एक ही आवेदन पत्र के माध्यम से कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। यह एक ऐसी सुविधा होगी, जो न केवल समय बचाएगी, बल्कि प्रक्रियाओं को और सरल बनाएगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई किसान किसी योजना के लिए आवेदन करना चाहता है, तो उसे अलग-अलग विभागों में अलग-अलग फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होगी। एक ही आवेदन से उसका काम हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी को ट्रैक करने के लिए एक मजबूत प्रणाली विकसित की जाए। यह प्रणाली उन्नत तकनीक का उपयोग करके जनजातीय समुदायों, किसानों, छात्रों और आम जनता को उनकी पात्रताओं की स्थिति के बारे में रीयल-टाइम अपडेट प्रदान करेगी। कल्पना करें कि आप अपने मोबाइल पर एक नोटिफिकेशन पाते हैं, जिसमें लिखा हो कि आपकी योजना का लाभ आपके खाते में जमा हो गया है। यह न केवल पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि नागरिकों का सरकार पर भरोसा भी मजबूत करेगा।
सरकार ने नागरिकों से भी नए सुझाव मांगे हैं, ताकि राइट टू सर्विस फ्रेमवर्क के तहत और सेवाओं को शामिल किया जा सके। इसके लिए विभागों को 15 सितंबर, 2025 तक अपने प्रस्ताव जमा करने के लिए कहा गया है। यह कदम दर्शाता है कि सरकार न केवल मौजूदा सेवाओं को बेहतर करना चाहती है, बल्कि नागरिकों की जरूरतों के अनुसार नई सेवाएं शुरू करने के लिए भी तैयार है।
डिजिटल शासन को बढ़ावा (Promoting Digital Governance) देने के लिए उठाया गया यह कदम महाराष्ट्र के नागरिकों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकता है। पहले जहां किसी प्रमाणपत्र या सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था, वहीं अब आपले सरकार पोर्टल के जरिए ये सेवाएं घर बैठे उपलब्ध हो रही हैं। यह नई पीढ़ी के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो तकनीक के साथ सहज है और त्वरित परिणामों की अपेक्षा करती है।
मुख्यमंत्री का यह निर्देश न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार नागरिकों की सुविधा को कितनी प्राथमिकता दे रही है। डिजिटल शासन के इस युग में, जहां दुनिया तेजी से बदल रही है, महाराष्ट्र भी पीछे नहीं रहना चाहता। डिजिटल शासन को बढ़ावा (Promoting Digital Governance) देने का यह प्रयास निश्चित रूप से राज्य को एक नई दिशा देगा, जहां हर नागरिक को समय पर और पारदर्शी तरीके से सेवाएं मिल सकेंगी।
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