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CBI Crack Down on Bribery in Mumbai: मुंबई में रिश्वतखोरी पर बड़ी कार्रवाई; सैनिटरी इंस्पेक्टर, जूनियर इंजीनियर रंगे हाथों पकड़े गए

CBI Crack Down on Bribery in Mumbai: मुंबई में रिश्वतखोरी पर बड़ी कार्रवाई; सैनिटरी इंस्पेक्टर, जूनियर इंजीनियर रंगे हाथों पकड़े गए

CBI Crack Down on Bribery in Mumbai: मुंबई शहर में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही सख्ती के बीच, दो सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है। यह घटना उन लोगों के लिए एक सबक है, जो अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हैं। एंटी-करप्शन ब्यूरो (Anti-Corruption Bureau) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अलग-अलग मामलों में एक सैनिटरी इंस्पेक्टर और एक जूनियर इंजीनियर को गिरफ्तार किया। इन दोनों मामलों ने शहर में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को फिर से उजागर किया है। यह खबर नई पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हर कदम मायने रखता है।

पहला मामला मुंबई के एच/ईस्ट वार्ड का है, जहां बीएमसी के सैनिटरी इंस्पेक्टर सरबजीत सिंह बाजवा को रिश्वत लेने (Accepting Bribe) के आरोप में गिरफ्तार किया गया। एक शिकायतकर्ता, जो एक कंसल्टेंसी फर्म चलाता है, ने बताया कि वह एक रेस्तरां मालिक के लिए स्वास्थ्य लाइसेंस लेने की प्रक्रिया में था। इस काम के लिए वह एच/ईस्ट वार्ड कार्यालय गया, जहां उसकी मुलाकात बाजवा से हुई। बाजवा ने कुछ दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करने और दो लाख रुपये की रिश्वत देने की मांग की। शिकायतकर्ता ने रिश्वत दी और लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी हुई। लेकिन कुछ समय बाद, बीएमसी के एक अन्य कर्मचारी, प्रमोद पाटिल, ने रेस्तरां का दौरा किया और दावा किया कि लाइसेंस गलत है। पाटिल ने शिकायतकर्ता को फिर से वार्ड कार्यालय बुलाया। वहां बाजवा और पाटिल ने मिलकर पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी। उन्होंने कहा कि चूंकि दो लाख रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं, अब तीन लाख रुपये और देने होंगे।

शिकायतकर्ता ने इस बार रिश्वत देने से इनकार कर दिया और 14 मई को एंटी-करप्शन ब्यूरो (Anti-Corruption Bureau) से संपर्क किया। एसीबी ने मामले की जांच की और पाया कि बाजवा ने तीन लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, लेकिन ढाई लाख रुपये पर सहमति बनी थी। गुरुवार को, एसीबी ने शिकायतकर्ता को बाजवा से मिलने और रिश्वत की राशि देने के लिए कहा। जैसे ही बाजवा ने दो लाख रुपये स्वीकार किए, एसीबी की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। उसे गिरफ्तार कर लिया गया, और अब उससे पूछताछ की जा रही है ताकि अन्य शामिल कर्मचारियों की भूमिका का पता लगाया जा सके। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो सरकारी सेवाओं के लिए रिश्वत मांगते हैं।

दूसरा मामला नेवी नगर के नौसेना अधिकारियों के परिवार आवासीय क्षेत्र (NOFRA) का है। यहां सीबीआई ने एक जूनियर इंजीनियर, दिनेश चंद्र पांडे, को रिश्वत लेने (Accepting Bribe) के आरोप में गिरफ्तार किया। पांडे ने एक ठेकेदार से साढ़े चार लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस ठेकेदार को नेवी नगर में एक इमारत के विशेष मरम्मत कार्य का ठेका मिला था। पांडे ने कहा कि अगर ठेकेदार अपने 40 लाख रुपये के बिल को पास करवाना चाहता है, तो उसे रिश्वत देनी होगी। ठेकेदार ने इस मांग को ठुकराया और सीबीआई से शिकायत की। सीबीआई ने जाल बिछाया और गुरुवार को पांडे को साढ़े चार लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। उसे हिरासत में ले लिया गया और 9 जून तक सीबीआई की हिरासत में रखा गया है। यह मामला सरकारी ठेकों में भ्रष्टाचार की समस्या को उजागर करता है।

ये दोनों मामले मुंबई में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही सख्ती को दर्शाते हैं। सैनिटरी इंस्पेक्टर और जूनियर इंजीनियर जैसे पदों पर बैठे लोग अक्सर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं। लेकिन इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट है कि जांच एजेंसियां हर स्तर पर नजर रख रही हैं। मुंबई जैसे शहर में, जहां हर कोई अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करता है।

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