महाराष्ट्र

बाढ़ की तबाही में किसान की कर्ज माफी की पुकार पर फटे अजीत पवार: बोले – “क्या हम कंचे खेलने आए हैं?” 

अजीत पवार

मराठवाड़ा के बाढ़ग्रस्त इलाकों में एक किसान के सवाल ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को भड़का दिया। सवाल था “कर्ज माफी कब होगी?” ये सवाल सुनते ही पवार साहब का पारा चढ़ गया, और उन्होंने गुस्से में जोरदार ताना मारा। “उसे मुख्यमंत्री पद दे दो! क्या तुम्हें लगता है कि हम कंचे खेलने आए हैं?”

ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, और राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है। आइए, इस हादसे की पूरी कहानी को समझते हैं । बाढ़ की मार झेल रहे किसानों की पीड़ा, सरकार की मदद के दावे, और पवार के इस विवादित बयान के पीछे का राज।

सितंबर 2025 की शुरुआत से ही महाराष्ट्र का मराठवाड़ा इलाका भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में है। धाराशिव (पहले बीड), लातूर और परभणी समेत आठ जिलों में नदियां उफान पर हैं। 20 सितंबर से अब तक कम से कम 9 लोगों की जानें जा चुकी हैं, और लाखों हेक्टेयर फसलें तबाह हो गई हैं। खरीफ की फसल का 30% से ज्यादा नुकसान हो चुका है। सोयाबीन, कपास, धान सब जलमग्न। किसान न सिर्फ कर्ज के जाल में फंसे हैं, बल्कि घर-बार भी उजड़ रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारें मदद के वादे कर रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

ऐसे ही संकट के बीच 24 सितंबर को अजीत पवार धाराशिव के परांदा तहसील पहुंचे। बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर फसल नुकसान का जायजा ले रहे थे। किसानों से बातचीत में सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी एक किसान ने साहस जुटाकर पूछा – “सर, कर्ज माफी का वादा कब पूरा होगा?” ये सवाल पवार के कानों में बिजली की तरह चमका!

किसान की इस मांग पर अजित पवार का धैर्य जवाब दे गया। भीड़ के बीच खड़े होकर उन्होंने तीखे लहजे में कहा, “उसे मुख्यमंत्री पद दे दो! क्या हम कंचे खेलने आए हैं?” हंसी का ठहाका तो लगा, लेकिन किसान की आंखों में निराशा साफ झलक रही थी।

अजित पवार ने जोर देकर कहा, “पैसे पर दिखावा नहीं किया जा सकता। मैं वही बोलता हूं जो सच है। राजनीति नहीं करनी, लेकिन जरूरतमंदों की मदद में हम कहीं पीछे नहीं हटेंगे।” उन्होंने आश्वासन दिया कि बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए केंद्र से मदद मांगी जाएगी, और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को औपचारिक पत्र भेजा जाएगा। लेकिन सवाल ये है, कि क्या ये वादे कागजों से आगे बढ़ेंगे?

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में किसान पहले से ही कर्ज के दबाव में जी रहे हैं। 2024 के विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन ने कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन मार्च 2025 में पवार ने ही साफ कह दिया था कि राज्य की आर्थिक स्थिति इसे मुमकिन नहीं बनाती। अब बाढ़ ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने लातूर में किसानों से कहा, “बाढ़ एक बड़ी आपदा है, तुरंत कर्ज माफी होनी चाहिए।” वहीं, एनसीपी (एसपी) के रोहित पवार ने केंद्र की 2,215 करोड़ की सहायता को “नाकाफी” बताते हुए प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की मांग की।

खैर ये घटना अजित पवार के लिए नई नहीं है। हाल ही में अवैध खुदाई पर कार्रवाई के दौरान एक महिला आईपीएस अधिकारी को “धमकी” देने का आरोप भी इसपर लग चुका है, हालांकि सहयोगी दलों ने इसे “सामान्य लहजा” बताया। लेकिन क्या उनका ये बयान किसानों के बीच नाराजगी बढ़ाएगा, या सरकार की मदद की तारीफ होगी? ये तो वक्त ही ही बताएगा।

किसानों के लिए उम्मीद की किरण?
अजीत पवार का ये दौरा महायुति सरकार की सक्रियता दिखाने का प्रयास था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी प्रभावित इलाकों में पहुंचे। लेकिन किसानों का कहना है कि वादों से पेट नहीं भरता। अगर केंद्र से मदद मिली, तो लाखों परिवारों को राहत हो सकती है। फिलहाल, अजित का ये वीडियो राजनीतिक बहस को अच्छे से हवा दे रहा है।

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