महाराष्ट्र

अजित पवार की नई चाल: बारामती छोड़ने का ऐलान क्यों?

अजित पवार की नई चाल: बारामती छोड़ने का ऐलान क्यों?
क्या अजित पवार बदल रहे हैं अपना रुख?: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक दिलचस्प खेल चल रहा है। पवार परिवार, जो हमेशा से राज्य की राजनीति का एक अहम हिस्सा रहा है, अब अपने ही घर में उथल-पुथल देख रहा है। इस खेल के मुख्य किरदार हैं अजित पवार, जो पिछले कुछ समय से अपने चाचा शरद पवार से अलग राह पर चल रहे थे। लेकिन अब लगता है कि वे फिर से अपना रुख बदल रहे हैं। आइए समझते हैं कि आखिर क्या चल रहा है पवार परिवार की राजनीति में।

अजित पवार का नया अवतार

पिछले साल जब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत की थी, तब लगा था कि पवार परिवार में शायद कभी सुलह नहीं होगी। अजित ने भाजपा और शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। उन्होंने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती से लोकसभा का टिकट भी दे दिया था, जहां से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले चुनाव लड़ रही थीं। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने शायद अजित को सोचने पर मजबूर कर दिया।

अब अजित पवार एक नए अवतार में नजर आ रहे हैं। वे अपने चाचा शरद पवार की तरह ही मध्य मार्गी राजनीति करते दिख रहे हैं। एक तरफ वे भाजपा के साथ हैं, तो दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर भी बोल रहे हैं। यह बदलाव क्यों आया? शायद इसकी वजह है भविष्य की राजनीति।

बारामती: पवार परिवार का गढ़

बारामती हमेशा से पवार परिवार का गढ़ रहा है। लेकिन अब इसी गढ़ में परिवार के भीतर एक नई लड़ाई शुरू हो सकती है। अजित पवार ने हाल ही में कहा कि उन्हें छोड़कर बारामती को कोई दूसरा विधायक मिलना चाहिए। उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देते हुए कहा कि अब किसी नए चेहरे को मौका मिलना चाहिए।

लेकिन क्या वाकई अजित पवार बारामती छोड़ने की सोच रहे हैं? या फिर यह किसी बड़ी चाल का हिस्सा है? कुछ लोगों का मानना है कि अजित अपने बेटे जय पवार के लिए रास्ता साफ कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, शरद पवार के गुट से जुड़े लोगों का कहना है कि वे युगेंद्र पवार को यहां से उतार सकते हैं।

परिवार में सुलह की उम्मीद?

अजित पवार के बयानों से लगता है कि शायद वे अब परिवार में सुलह चाहते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनसे गलती हो गई थी। उन्होंने अपनी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को उतारने की बात को गलत बताया। यह बयान काफी अहम है। क्या इसका मतलब है कि अजित अब शरद पवार के करीब आना चाहते हैं?

शरद पवार का भविष्य और अजित की रणनीति

शरद पवार अब उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां वे शायद 2029 के विधानसभा चुनाव में सक्रिय रूप से भाग न ले पाएं। अजित शायद इसी बात को समझ रहे हैं। वे जानते हैं कि आने वाले समय में शरद पवार के समर्थक उन्हीं की तरफ रुख कर सकते हैं। इसीलिए वे अब एक ऐसी राजनीति कर रहे हैं जो शरद पवार के करीब हो।

क्या होगा आगे?

महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार का महत्व किसी से छिपा नहीं है। अगर अजित और शरद पवार के बीच सुलह होती है, तो यह राज्य की राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो बारामती में एक रोचक चुनावी मुकाबला देखने को मिल सकता है। जो भी हो, एक बात तय है – पवार परिवार की राजनीति अभी और कई मोड़ लेने वाली है।

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