अमरावती: एक लंबी प्रतीक्षा का अंत
आंध्र प्रदेश, एक ऐसा राज्य जिसने अपनी राजधानी की तलाश में लंबा सफर तय किया है, अब आखिरकार अपनी नई आधिकारिक राजधानी प्राप्त करने जा रहा है। 12 जून से, अमरावती आंध्र प्रदेश की आधिकारिक राजधानी बन जाएगी। यह फैसला राज्य के विकास और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अमरावती की स्थापना: एक सपने का साकार होना
अमरावती की राजधानी के रूप में स्थापना की कहानी 2014 में शुरू हुई जब आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना एक नया राज्य बना। इसके बाद, हैदराबाद को तेलंगाना की राजधानी घोषित किया गया, जिससे आंध्र प्रदेश को एक नई राजधानी की जरूरत पड़ी। इसी समय, अमरावती को नई राजधानी बनाने का फैसला लिया गया।
2015 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में अमरावती को आधिकारिक राजधानी बनाने की आधारशिला रखी गई थी। इस परियोजना को लेकर राज्य में भारी उत्साह था और इसे राज्य के विकास का प्रतीक माना गया।
परियोजना की बाधाएं और लागत
हालांकि, अमरावती की राजधानी बनने की राह में कई बाधाएं आईं। 2019 में, जब वाईएस जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बने, उन्होंने इस परियोजना को रोक दिया और राज्य की तीन राजधानियों की योजना की घोषणा की। इससे परियोजना में देरी हुई और विवाद बढ़ा।
अमरावती को राजधानी बनाने की परियोजना पर अब तक करीब 25,000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस राशि में बुनियादी ढांचे का विकास, सरकारी कार्यालयों का निर्माण, और अन्य प्रशासनिक सुविधाओं का विकास शामिल है।
12 जून: एक नया अध्याय
अब, 12 जून 2024 से, आंध्र प्रदेश को आखिरकार अपनी नई आधिकारिक राजधानी मिल जाएगी। अमरावती, जो हैदराबाद से लगभग 510 किलोमीटर दूर स्थित है, राज्य का प्रशासनिक केंद्र बन जाएगा। यह न केवल राज्य की प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास का भी केंद्र बनेगा।
अमरावती का भविष्य
अमरावती को एक आधुनिक, स्मार्ट शहर के रूप में विकसित करने की योजना है। यह शहर उच्च तकनीक सुविधाओं, बेहतर यातायात प्रबंधन, और उन्नत नागरिक सुविधाओं के लिए जाना जाएगा। इसके साथ ही, राज्य सरकार का उद्देश्य है कि अमरावती न केवल प्रशासनिक बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बने।
अमरावती की राजधानी के रूप में स्थापना आंध्र प्रदेश के लिए एक नए युग की शुरुआत है। यह कदम न केवल राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करेगा बल्कि इसके विकास और प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अब सभी की निगाहें 12 जून पर हैं, जब आंध्र प्रदेश को उसकी नई आधिकारिक राजधानी मिलेगी और एक नई शुरुआत का गवाह बनेगा।