महाराष्ट्र

अमरावती: किडनी चोरी का चौंकाने वाला आरोप, मृतक के परिवार में आक्रोश

अमरावती

महाराष्ट्र के अमरावती जिले के मंगरूल चव्हाला में एक परिवार का डॉक्टरों पर से विश्वास टूट गया है। 38 वर्षीय पुरुषोत्तम सुरेश चौधरी की मृत्यु ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, लेकिन इससे भी ज्यादा परेशान करने वाला है उनका एक गंभीर आरोप। परिवार का मानना है कि पुरुषोत्तम की मृत्यु के बाद उनकी किडनी निकाल ली गई, जिसने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। हालांकि, डॉक्टरों ने इस आरोप को खारिज करते हुए इसे गलत बताया है, लेकिन ये मामला दिल को झकझोर देने वाला है। एक सामान्य व्यक्ति, जो दुर्घटना के बाद इलाज के लिए अस्पताल गया था, उसकी मृत्यु के बाद अनुत्तरित सवालों का सिलसिला छोड़ गया है।

बाइक दुर्घटना से शुरू हुई कहानी
पुरुषोत्तम चौधरी एक साधारण व्यक्ति थे, जिनका जीवन उनके परिवार और मेहनत के इर्द-गिर्द घूमता था। एक महीने पहले, उनकी बाइक दुर्घटना में पैर में मामूली चोट लगी थी, जिसके बाद उन्हें अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल में भर्ती किया गया था। किसी ने नहीं सोचा था कि इलाज के लिए भर्ती हुआ व्यक्ति मृत अवस्था में घर लौटेगा। मृत्यु के बाद, परिवार वालों ने शव परीक्षण से पहले उनके पेट पर टांके देखे, जिससे उनकी शंका बढ़ी। उन्होंने सीधे तौर पर अस्पताल पर किडनी निकालने का आरोप लगाया।

परिवार का आक्रोश इतना तीव्र था कि उन्होंने कुछ समय के लिए शव परीक्षण रोक दिया। उनका गुस्सा, दुख और विश्वासघात की भावना हर किसी के दिल को छू गई। अंततः, शहर पुलिस की निगरानी में इन-कैमरा शव परीक्षण किया गया। फिर भी, परिवार का गुस्सा शांत नहीं हुआ। 1 अगस्त 2025 को, बावने कुणबी समाज मंडल की ओर से जिला कलेक्टर को शिकायत दर्ज की गई, जिसमें अस्पताल पर अंग चोरी और अंग तस्करी रैकेट में शामिल होने का आरोप लगाया गया। परिवार ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है।

डॉक्टरों का खंडन, लेकिन सवाल बरकरार
जिला प्रभारी सर्जन डॉ. प्रीति मोरे ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया, “पुरुषोत्तम चौधरी का इन-कैमरा शव परीक्षण किया गया, और उनकी दोनों किडनियां सही सलामत पाई गईं।” उन्होंने ये भी बताया कि मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की जा रही है। लेकिन क्या ये जवाब परिवार के दर्द को कम कर सकता है? एक सामान्य व्यक्ति के परिवार को अपनी मृत्यु के बाद इतने गंभीर सवाल क्यों उठाने पड़ रहे हैं?

विश्वास का टूटना और समाज का आक्रोश
ये सिर्फ एक परिवार की चिंता नहीं, बल्कि पूरे समाज के विश्वास का सवाल है। अस्पताल जीवन के सबसे कठिन क्षणों में उम्मीद की किरण होते हैं। लेकिन जब उन पर संदेह के बादल मंडराते हैं, तो आम आदमी कहां जाए? पुरुषोत्तम के परिवार का आक्रोश सिर्फ उनके दुख तक सीमित नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था में गहरे अविश्वास को दर्शाता है। अगर एक अस्पताल में इलाज के लिए गए व्यक्ति के अंगों पर सवाल उठते हैं, तो आम आदमी किस पर भरोसा करे?

सच्चाई सामने आने की जरूरत
ये मामला न केवल अमरावती, बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर रहा है। पुरुषोत्तम चौधरी की मृत्यु का असली कारण क्या है? किडनी के बारे में संदेह सही है या गलत? इन सवालों के जवाब केवल गहन जांच से ही मिल सकते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण ये है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। अस्पतालों में पारदर्शिता, मरीजों की सुरक्षा का आश्वासन और आम आदमी का विश्वास बनाए रखना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

आज पुरुषोत्तम का परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है। उनकी पुकार हर किसी के साथ गूंज रही है। हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी परिवार को फिर से ऐसा दर्द और संदेह न सहना पड़े। उम्मीद है कि सच्चाई सामने आएगी और पुरुषोत्तम के परिवार को न्याय मिलेगा।

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