महाराष्ट्र

एक दिन पहले दिया ऑफर और दूसरे दिन हुई 20 मिनट की मुलाकात, क्या खिचड़ी पक रही है सीएम और उद्धव ठाकरे के बीच?

सीएम
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वैसे तो महाराष्ट्र की राजनीति में उठा-पटक का दौर जारी रहता ही है, लेकिन इन दिनों इसकी रफ्तार और ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि आने वाले दिनों में राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव होने है, जिसे जीतने के लिए सभी पार्टियां अभी से हर तरह के राजनीतिक नुस्खे अपना रही हैं, फिर चाहे वो प्रपंच की राजनीति ही क्यों ना हो! दो दिन पहले की बात है, जब सीएम फडणवीसे ने उद्धव ठाकरे को सीधे तौर पर ऑफर देते हुए कहा कि, “2029 तक तो कोई स्कोप नहीं है, लेकिन उद्धवजी, आपको यहां शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।”

इसके ठीक एक दिन बाद गुरुवार को उद्धव ठाकरे और सीएम फडणवीस के बीच विधानसभा के अंटी-चेंबर में मुलाकात हुई और लगातार 20 मिनट तक दोनों के बीच बातें हुई। उद्धव ठाकरे के साथ आदित्य ठाकरे भी इस खास मुलाकात में शामिल रहे। इस मुलाकात में नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर, हिंदी भाषा और त्रिभाषा सूत्र के मुद्दे पर बातचीत हुई।

बातचीत के दौरान सीएम फडणवीस को उद्धव ठाकरे ने ‘हिंदी की जबरदस्ती आखिर क्यों?’ नामक पुस्तक भेंट की। इसपर सीएम ने उद्धव ठाकरे को सुझाव दिया कि समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जाधव को भी ये पुस्तक भेंट की जानी चाहिए।

जानकारी हो कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद देने का अधिकार अध्यक्ष का होता है, लेकिन ये पद अबतक उद्धव ठाकरे गुट को नहीं दिया जा सका है। इसी मुद्दे पर सीएम फडणवीस से उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की मुलाकात हुई। इस मुलाकात के दौरान ठाकरे गुट के कुछ अन्य नेता भी मौजूद रहे।

उद्धव ठाकरे को सीएम ने दिया था साथ आने का ऑफर
गौरतलब है कि विधानभवन के सदन में उद्धव ठाकरे को सीएम ने साथ आने का ऑफर दिया था। ऐसे में इस मुलाकात को लेकर कई बातें कही ज रही है और कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि सीएम फडणवीस के ऑफर को लेकर जब उद्धव ठाकरे से सवाल किया गया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि, “जाने दीजिए ये सब हंसी मजाक की बातें हैं।”

 

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वैसे एक बात तो गौर फरमाने वाली है कि सीएम फडणवीस ने शिवसेना यूबीटी प्रमुख को ये ऑफर ऐसे वक्त में दिया है, जब दोनों ठाकरे भाइयों – राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की नजदीकियां बढ़ रही है। इसी महीने 5 जुलाई की बात है, जब हिंदी विवाद को लेकर दोनों भाई ने मिलकल रैली की थी।

खैर उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की ये मुलाकात महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों की ओर इशारा कर रही है। नेता प्रतिपक्ष के पद और भाषा विवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ फडणवीस का साथ आने का ऑफर इस मुलाकात को और भी खास बनाता है। आने वाले दिनों में ये देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात का महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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