सामाजिक कार्यकर्ता और भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष की पहचान बने अन्ना हजारे एक बार फिर आंदोलन के मूड में हैं। महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून अभी तक लागू न होने से नाराज होकर उन्होंने घोषणा की है कि वे 30 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठेंगे। ये फैसला उन्होंने सरकार को चेतावनी देने और जनहित से जुड़े इस महत्वपूर्ण कानून को लागू करवाने के लिए लिया है।
लोकायुक्त कानून को लेकर नाराज़गी क्यों?
अन्ना हजारे लंबे समय से महाराष्ट्र में एक मजबूत और प्रभावी लोकायुक्त कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए ये कानून बेहद जरूरी है। कई बार आश्वासन मिलने के बावजूद सरकार ने कानून लागू करने की दिशा में अपेक्षित कदम नहीं उठाए। इसी वजह से अन्ना ने एक बार फिर संघर्ष की राह चुनी है।
30 जनवरी को रालेगण सिद्धि में अनशन शुरू करेंगे
अन्ना हजारे ने साफ कहा है कि अगर सरकार ने इससे पहले ठोस कदम नहीं उठाए, तो वो अपने गांव रालेगण सिद्धि में आमरण अनशन शुरू करेंगे। वे पहले भी कई बार इसी गांव से बड़े आंदोलनों की शुरुआत कर चुके हैं, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर असर डाला है।
सरकार पर दबाव बढ़ सकता है
अन्ना के इस ऐलान के बाद महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ने की संभावना है। क्योंकि अन्ना हजारे के आंदोलनों ने पूर्व में कई बार सरकारों को नीतिगत फैसले लेने पर मजबूर किया है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की लगातार लड़ाई
2011 के जनलोकपाल आंदोलन से अन्ना हजारे देश के घर-घर में पहचाने जाने लगे थे। लोकायुक्त और जनलोकपाल को लेकर उनका संघर्ष आज भी जारी है। इस बार उनका कहना है कि जब तक महाराष्ट्र में पारदर्शी और मजबूत लोकायुक्त कानून लागू नहीं होगा, वे पीछे नहीं हटेंगे।
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