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CM बनते ही उमर अब्दुल्ला ने लिया जनता के हक में ये बड़ा फैसला

उमर अब्दुल्ला
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह शपथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिलाई। उमर अब्दुल्ला इस पद को संभालने वाले अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जिन्होंने अपने दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारूक अब्दुल्ला के बाद यह जिम्मेदारी ली है। उनके साथ पांच मंत्रियों ने भी शपथ ली: सकीना मसूद, जावेद डार, जावेद राणा, सुरिंदर चौधरी, और सतीश शर्मा।

उमर अब्दुल्ला का निर्देश: जनता को न हो असुविधा
मुख्यमंत्री बनते ही उमर अब्दुल्ला ने तुरंत जनता की सुविधा का ध्यान रखते हुए जम्मू-कश्मीर के डीजीपी को निर्देश दिया कि उनके काफिले के कारण किसी भी आम नागरिक को असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि उनके लिए कोई ग्रीन कॉरिडोर न बने और यातायात रोका न जाए। सोशल मीडिया पर भी उन्होंने इस बात को स्पष्ट करते हुए लिखा कि उनके काफिले के लिए सायरन का उपयोग भी कम से कम किया जाए।

जनता की सेवा पर जोर
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनका आचरण जनता के अनुकूल होना चाहिए। उन्होंने अपने कैबिनेट सहयोगियों से भी यही आग्रह किया कि जनता की सेवा ही उनका मुख्य उद्देश्य हो, न कि उन्हें कोई असुविधा पहुंचाई जाए। उन्होंने किसी भी प्रकार की आक्रामकता या अशिष्ट व्यवहार से बचने का निर्देश दिया।

पहली चुनी हुई सरकार
2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद यह जम्मू-कश्मीर की पहली चुनी हुई सरकार है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 में से 42 सीटें जीतीं, जबकि उनकी सहयोगी कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की।

उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर की यह नई सरकार प्रदेश के विकास और जनता की सेवा पर ध्यान देने का वादा कर रही है। मुख्यमंत्री ने अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी है कि जनता की सेवा ही उनके कार्यकाल का मुख्य उद्देश्य होगा।

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