Audit of Pakistani Citizens: महाराष्ट्र, जो भारत का एक प्रमुख आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र है, आज एक महत्वपूर्ण सुरक्षा अभियान का गवाह बन रहा है। हाल ही में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, सुरक्षा एजेंसियां और सतर्क हो गई हैं। इसी कड़ी में, पाकिस्तानी नागरिकों का ऑडिट (Audit of Pakistani Citizens) शुरू किया गया है। राज्य खुफिया ब्यूरो (SID) ने महाराष्ट्र में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों की गहन जांच के आदेश दिए हैं। यह कदम न केवल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि कोई भी अवैध रूप से राज्य में न रहे। आइए, इस अभियान की पूरी कहानी को समझें।
पहलगाम हमले का असर
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसने देश में सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े किए। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन ने ली, और खुफिया एजेंसियों ने इसमें पाकिस्तान की भूमिका की आशंका जताई। इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया और सभी राज्यों को अपने क्षेत्र में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों (Pakistani Citizens) की जांच करने के निर्देश दिए। महाराष्ट्र, खासकर नागपुर, जहां बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिक रहते हैं, इस जांच का केंद्र बन गया है।
28 अप्रैल 2025 को, राज्य खुफिया ब्यूरो (SID) के आयुक्त शिरीष जैन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महाराष्ट्र के सभी पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक की। इस बैठक में जैन ने स्पष्ट निर्देश दिए कि हर पाकिस्तानी नागरिक की गहन जांच की जाए। उन्होंने केंद्र सरकार के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि जिन लोगों की वीजा अवधि खत्म हो चुकी है, उनकी पहचान कर उन्हें तुरंत वापस भेजा जाए। इसके अलावा, सभी नागरिकों से संबंधित डेटा को एकत्र करने और दोबारा सत्यापित करने के लिए भी कहा गया।
जैन ने विशेष रूप से अल्पकालिक वीजा पर आए लोगों की सूची तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि ऐसे लोगों को देश छोड़ने के लिए उचित नोटिस दिया जाए। यह कदम केंद्र सरकार के उस सख्त रुख का हिस्सा है, जो पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के प्रति अपनाया गया है।
नागपुर में 2,400 पाकिस्तानी नागरिक
नागपुर, जो महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण शहर है, इस जांच का मुख्य केंद्र है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में नागपुर में करीब 2,400 पाकिस्तानी नागरिक (Pakistani Citizens) रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग मेडिकल वीजा, अल्पकालिक वीजा, या दीर्घकालिक वीजा (LTV) पर भारत आए हैं। ये लोग मुख्य रूप से जरीपटका, मोमिनपुरा, जाफरनगर, और उत्तरी नागपुर के इलाकों में रहते हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से केवल 13 लोग मुस्लिम हैं, जबकि बाकी हिंदू या अन्य धर्मों के हैं।
कई पाकिस्तानी नागरिक पाकिस्तान के सिंध प्रांत से हैं और वे विभाजन से पहले के पारिवारिक संबंधों का हवाला देकर भारतीय नागरिकता की मांग कर रहे हैं। बताया जाता है कि 1,500 से ज्यादा लोगों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है। लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी पाकिस्तानी नागरिक अब अवैध रूप से भारत में नहीं रह सकता।
बैठक के दौरान कुछ पुलिस अधिकारियों ने एक चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चार दशकों से भारत में रह रहे कई पाकिस्तानी नागरिक अब लापता हैं। कुछ की वृद्धावस्था के कारण मृत्यु हो चुकी है, जबकि अन्य ने अपना निवास स्थान बदल लिया है। इस वजह से डेटा को अपडेट करना और सत्यापित करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। SID आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे हर नागरिक के दस्तावेजों की दोबारा जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी अवैध रूप से न रहे।
नागपुर पुलिस इस अभियान में दिन-रात जुटी हुई है। स्थानीय थानों के अधिकारियों को हर पाकिस्तानी नागरिक पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा गया है। मेडिकल वीजा पर रहने वालों को 29 अप्रैल 2025 तक देश छोड़ने का समय दिया गया है। पुलिस हर व्यक्ति के दस्तावेजों की जांच कर रही है, जिसमें पासपोर्ट, वीजा की वैधता, और निवास का पता शामिल है। इसके अलावा, खुफिया एजेंसियां भी इन लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रही हैं, ताकि कोई संदिग्ध गतिविधि न हो।
यह अभियान केवल नागपुर तक सीमित नहीं है। मुंबई, ठाणे, पुणे, और महाराष्ट्र के अन्य शहरों में भी इसी तरह की जांच चल रही है। खासकर उन इलाकों में, जहां पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या ज्यादा है, पुलिस की मौजूदगी बढ़ा दी गई है।
यह जांच अभियान सुरक्षा के लिहाज से बहुत जरूरी है, लेकिन इसमें मानवीय पहलू को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कई पाकिस्तानी नागरिक दशकों से भारत में रह रहे हैं और उनके परिवार यहाँ बसे हुए हैं। कुछ लोग मेडिकल उपचार के लिए आए हैं, जबकि कुछ ने यहाँ शादी कर ली है। इन लोगों के लिए अचानक देश छोड़ना आसान नहीं है। लेकिन पहलगाम हमले के बाद देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है, और सरकार कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वीजा नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। मेडिकल वीजा पर रहने वालों को विशेष छूट दी गई थी, लेकिन अब उनकी समय सीमा भी खत्म हो रही है। यह कदम भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का भी हिस्सा है, क्योंकि पहलगाम हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता की आशंका ने दोनों देशों के रिश्तों को और तल्ख कर दिया है।
नागपुर में पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी कई मायनों में अनोखी है। यहाँ रहने वाले ज्यादातर लोग हिंदू हैं, जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए हैं। ये लोग विभाजन के समय छूट गए पारिवारिक रिश्तों को आधार बनाकर भारत में रह रहे हैं। कई लोगों ने यहाँ के स्थानीय समुदायों के साथ घुलमिलकर जीवन शुरू किया है। लेकिन अब उनकी स्थिति अनिश्चित हो गई है।
नागपुर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों की पहचान करना है, जो लापता हैं या जिनके दस्तावेज पूरे नहीं हैं। इसके लिए पुलिस ने स्थानीय समुदायों की मदद लेने का फैसला किया है। साथ ही, डिजिटल डेटाबेस को अपडेट करने का काम भी तेजी से चल रहा है।
यह पाकिस्तानी नागरिकों का ऑडिट (Audit of Pakistani Citizens) न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पहलगाम हमले ने यह साफ कर दिया है कि सुरक्षा में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। महाराष्ट्र सरकार और SID इस अभियान को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं।
नागपुर में चल रही यह जांच अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। यह अभियान न केवल अवैध प्रवासियों की पहचान करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि वीजा नियमों का सख्ती से पालन हो। साथ ही, यह देश की सुरक्षा को मजबूत करने में एक बड़ा कदम साबित होगा।
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