Awhad Controversial Sanatan Dharma Remark: एनसीपी-शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आह्वाड ने सनातन धर्म को लेकर एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद कर दिया और इसकी विचारधारा विकृत है। यह बयान 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सातों आरोपियों, जिसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर शामिल थीं, के बरी होने के बाद आया। इस फैसले ने “भगवा आतंकवाद” शब्द पर फिर से बहस छेड़ दी।
Thane, Maharashtra | NCP-SCP MLA Jitendra Awhad says, “Sanatan Dharma has ruined India. There was never any religion called Sanatan Dharma. We are followers of Hindu Dharma. It was this so‑called Sanatan Dharma that denied our Chhatrapati Shivaji Maharaj his coronation. This… pic.twitter.com/9vVxwA3XhI
— ANI (@ANI) August 2, 2025
आह्वाड ने पत्रकारों से कहा कि सनातन धर्म नाम का कोई धर्म कभी था ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि हम हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। उनके मुताबिक, सनातन धर्म ने छत्रपति शिवाजी महाराज को राज्याभिषेक से रोका, छत्रपति संभाजी महाराज को बदनाम किया, और ज्योतिराव फुले पर हमला करने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म के अनुयायियों ने सावित्रीबाई फुले पर गोबर और गंदगी फेंकी और शाहू महाराज की हत्या की साजिश रची।
आह्वाड ने डॉ. बी.आर. आंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि सनातन धर्म ने उन्हें स्कूल जाने या पानी पीने से रोका। आंबेडकर ने इसका विरोध किया और मनुस्मृति को जलाकर इसकी परंपराओं को खारिज किया। आह्वाड ने कहा कि मनुस्मृति के रचयिता भी इसी सनातनी परंपरा से आए थे। उन्होंने खुले तौर पर सनातन धर्म को विकृत विचारधारा बताया।
इस बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “भगवा आतंकवाद” और “सनातन आतंकवादी” जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर हिंदुओं को बदनाम किया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने स्वीकार किया था कि पार्टी नेतृत्व के कहने पर उन्होंने “भगवा आतंकवाद” शब्द का इस्तेमाल किया था। बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सनातन धर्म भारत की संस्कृति और विरासत है, और इसके खिलाफ बोलना इसका अपमान है।
मालेगांव विस्फोट 29 सितंबर 2008 को नासिक जिले के भिक्कू चौक में एक मस्जिद के पास हुआ था, जिसमें 6 लोग मारे गए और 95 घायल हुए थे। विशेष NIA कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष सबूत पेश नहीं कर सका। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को पीड़ितों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया।
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