मुंबई के प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक मंदिर के महाप्रसाद लड्डुओं में चूहे के बच्चों के पाए जाने की घटना ने हर तरफ हलचल मचा दी है। मंदिर प्रशासन पर न केवल लापरवाही के आरोप लगे हैं बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था भी आहत हुई है। इस घटना ने तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं में एनिमल फैट मिलने के बाद प्रसाद की शुद्धता को लेकर उठे सवालों को और भी हवा दे दी है। आखिर कैसे एक पवित्र स्थल पर ऐसा हो सकता है? आइए, जानते हैं इस घटना की पूरी कहानी और इसके असर को विस्तार से।
सिद्धिविनायक मंदिर के प्रसाद में चूहे: कैसे सामने आया मामला?
श्री सिद्धिविनायक मंदिर, जो मुंबई के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है, वहां की सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हमेशा से कड़े नियम माने जाते हैं। लेकिन हाल ही में NDTV के हाथ एक चौंकाने वाली तस्वीर लगी, जिसमें महाप्रसाद लड्डुओं में चूहे के बच्चे पाए गए। यह घटना तब सामने आई जब कुछ श्रद्धालुओं ने प्रसाद के पैकेट खोलते ही चूहों के बच्चे देखे। मंदिर ट्रस्ट की सचिव वीणा पाटिल ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकारते हुए कहा कि CCTV फुटेज की जांच की जाएगी और इस मामले की पूरी पड़ताल की जाएगी।
तिरुपति लड्डू विवाद: कहां से शुरू हुआ प्रसाद की शुद्धता का मामला?
इससे पहले, तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं में भैंस और सूअर की चर्बी पाए जाने की खबर ने लोगों को चौंका दिया था। इस खबर के सामने आने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रशासन पर सवाल उठाए थे कि क्या प्रसाद बनाने में शुद्धता का ध्यान रखा जा रहा है या नहीं? तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं का विश्लेषण करने के बाद जब यह पाया गया कि उसमें एनिमल फैट है, तो यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया। और अब, जब सिद्धिविनायक मंदिर के प्रसाद में चूहे के बच्चे पाए गए हैं, तो यह सवाल और भी गंभीर हो गया है कि आखिर इन पवित्र स्थलों पर प्रसाद की शुद्धता को कैसे सुनिश्चित किया जाए?
अब सिद्धिविनायक मंदिर के महाप्रसाद पर दिखे चूहे..
मुंबई के मशहूर सिद्धिविनायक मंदिर की चौंकाने वाली एक तस्वीर NDTV इंडिया के हाथ लगी है. हर रोज क़रीब 50 हजार लड्डू प्रसाद के लिए बनाए जाते हैं. चूहे कुतर रहे हैं प्रसाद.#Mumbai । #SiddhivinayakTemple pic.twitter.com/IqiHHiuN5a
— NDTV India (@ndtvindia) September 23, 2024
हर रोज़ बनते हैं 50,000 लड्डू: कैसे होती है प्रसाद की तैयारी?
सिद्धिविनायक मंदिर में हर रोज़ लगभग 50,000 लड्डू बनाए जाते हैं। त्योहारों के दौरान यह संख्या और भी बढ़ जाती है। एक दिन में बनाए जाने वाले इन हजारों लड्डुओं को दो-दो के पैकेट में श्रद्धालुओं को बांटा जाता है। इसके लिए फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट से भी सर्टिफिकेशन लिया जाता है।
लेकिन इतने बड़े पैमाने पर प्रसाद की तैयारी के दौरान क्या सही तरीके से सफाई का ध्यान रखा जा रहा है? क्या इतने बड़े मात्रा में प्रसाद को तैयार करने के बाद उसकी क्वालिटी चेक की जाती है? यह सवाल तब और गंभीर हो जाता है जब आप देखते हैं कि हर रोज़ हजारों श्रद्धालु इस प्रसाद को श्रद्धा के साथ ग्रहण करते हैं।
मंदिर प्रशासन का बचाव: क्या सही में हो रही है जांच?
मामला सामने आने के बाद मंदिर ट्रस्ट की सचिव वीणा पाटिल ने इस वीडियो की सत्यता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि “पहली नज़र में यह तस्वीरें मंदिर के भीतर की नहीं लगतीं।” उन्होंने यह भी कहा कि इस वीडियो के ओरिजिन का सबूत उन्हें दिया जाए ताकि वे अपने स्तर पर इसकी जांच कर सकें। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ जांच की बात करना ही काफी है? श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को दोबारा जीतने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
क्या होनी चाहिए सख्त गाइडलाइन्स?
यह मामला सिर्फ सिद्धिविनायक या तिरुपति बालाजी मंदिर तक सीमित नहीं है। देश के हर कोने में स्थित मंदिरों में प्रसाद की शुद्धता को लेकर सख्त गाइडलाइन्स की आवश्यकता है। यह न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को बचाने का सवाल है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं की शुद्धता का भी सवाल है। सरकार और संबंधित विभागों को इस ओर ध्यान देना होगा कि मंदिरों में बनने वाला प्रसाद हर तरह से शुद्ध और सुरक्षित हो।
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