GR for Child Safety in Schools: पिछले साल अगस्त 2024 में महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना ने न केवल समाज को बच्चों की सुरक्षा के प्रति और सजग किया, बल्कि सरकार और न्यायपालिका को भी त्वरित कार्रवाई के लिए मजबूर किया। इस दुखद घटना के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एक नया सरकारी आदेश (Government Resolution – GR) जारी करने का फैसला किया है। यह कदम नई पीढ़ी के लिए एक सुरक्षित भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम इस मामले के विभिन्न पहलुओं और सरकार के नए कदमों के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
बदलापुर की इस घटना ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े किए। स्कूल, जो बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, वहां ऐसी घटना ने अभिभावकों के मन में डर पैदा कर दिया। इस मामले में पुलिस और स्कूल प्रशासन की शुरुआती निष्क्रियता ने जनता का गुस्सा और बढ़ा दिया। लोग सड़कों पर उतर आए, रेल रोको आंदोलन हुआ और न्याय की मांग तेज हो गई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान (Suo Motu Cognisance) लिया और सरकार को बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।
महाराष्ट्र सरकार ने इस घटना के बाद 23 अगस्त 2024 को एक समिति का गठन किया। इस समिति में दो पूर्व हाई कोर्ट जजों को शामिल किया गया, जिन्हें स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मौजूदा नियमों की समीक्षा करने और नए सुझाव देने का जिम्मा सौंपा गया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं, जिन्हें अब सरकार अपने नए सरकारी आदेश में शामिल करने जा रही है। इन सिफारिशों में स्कूलों में सीसीटीवी अनिवार्य (Mandatory CCTV in Schools) करना, कर्मचारियों की चरित्र सत्यापन (Staff Verification) प्रक्रिया को मजबूत करना, और स्कूलों को छात्रों के परिवहन की जिम्मेदारी लेने जैसे कदम शामिल हैं।
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि बच्चों को अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श (Good Touch Bad Touch) के बारे में जागरूक करना जरूरी है। यह एक ऐसा विषय है, जो छोटी उम्र से ही बच्चों को समझाना चाहिए। जब बच्चे इस अंतर को समझेंगे, तो वे अपनी सुरक्षा के प्रति ज्यादा सजग होंगे। इसके अलावा, समिति ने साइबर अपराधों (Cybercrimes) के प्रति जागरूकता बढ़ाने और स्कूल परिसर में टोल-फ्री चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 को प्रमुखता से प्रदर्शित करने की बात कही। ये कदम बच्चों को न केवल शारीरिक, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी सुरक्षित रखने में मदद करेंगे।
बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त लोक अभियोजक प्रजक्ता शिंदे ने जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस नीला गोखले की बेंच को बताया कि सरकार जल्द ही समिति की सिफारिशों के आधार पर एक व्यापक सरकारी आदेश जारी करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगले शैक्षणिक सत्र से पहले स्कूलों को इन नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त समय देना जरूरी है। यह सुनिश्चित करेगा कि स्कूल प्रशासन नए नियमों को लागू करने के लिए तैयार हो।
कोर्ट में Amicus curiae (न्याय मित्र) के रूप में नियुक्त वकील रेबेका गोंसाल्वेस ने साइबरबुलिंग (Cyberbullying) से निपटने के लिए उपाय शामिल करने का सुझाव दिया। साइबरबुलिंग आज की डिजिटल दुनिया में बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बच्चे अक्सर मानसिक उत्पीड़न का शिकार होते हैं, जिसका उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। प्रजक्ता शिंदे ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि इस सुझाव को भी सरकारी आदेश में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, गोंसाल्वेस ने यह भी प्रस्ताव रखा कि स्कूलों और शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अनुपालन रिपोर्ट (Compliance Reports) को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए, ताकि लोग इन नियमों के पालन की स्थिति को देख सकें।
इस नए सरकारी आदेश में आंगनवाड़ी, आश्रम शालाओं और किशोर बोर्डों के लिए भी विशेष दिशा-निर्देश शामिल होंगे। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि न केवल स्कूल, बल्कि अन्य शैक्षिक संस्थान भी बच्चों की सुरक्षा के लिए जवाबदेह हों। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि स्कूलों में सीसीटीवी फुटेज को कम से कम एक महीने तक संरक्षित रखा जाए, ताकि किसी भी घटना की जांच में यह उपयोगी हो सके।
बदलापुर की घटना ने न केवल बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया, बल्कि POCSO एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) के बेहतर कार्यान्वयन की जरूरत को भी रेखांकित किया। इस एक्ट के तहत, बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने और पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए कई प्रावधान हैं। हालांकि, बदलापुर मामले में पुलिस की देरी और स्कूल की लापरवाही ने इन प्रावधानों के पालन में कमी को उजागर किया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार को बार-बार जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
इस पूरे मामले में जनता की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। बदलापुर में हुए विरोध प्रदर्शनों और रेल रोको आंदोलन ने सरकार और प्रशासन पर दबाव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप त्वरित कार्रवाई हुई। यह दिखाता है कि जब समाज एकजुट होकर आवाज उठाता है, तो बदलाव संभव है। अब, नए सरकारी आदेश के साथ, महाराष्ट्र के स्कूलों में बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
यह लेख बच्चों की सुरक्षा (Child Safety) और स्कूलों में सुरक्षा उपाय (School Safety Measures) जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित है। ये उपाय न केवल बदलापुर की घटना से सबक लेते हैं, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करते हैं।
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