पाकिस्तान में एक बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) पर प्रतिबंध लगाने की बात हो रही है। ये खबर पाकिस्तान के लोकतंत्र पर सवाल खड़े कर रही है। आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझें।
सरकार का रुख और आलोचना
शहबाज शरीफ की सरकार ने संकेत दिए हैं कि वो पीटीआई पर रोक लगा सकती है। इमरान खान पहले से ही जेल में हैं। इस कदम की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस पर चिंता जताई है। यहां तक कि सत्ता में शामिल कुछ दल भी इससे सहमत नहीं हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने साफ कहा है कि उनसे इस बारे में कोई सलाह नहीं ली गई।
इमरान खान की लोकप्रियता
इमरान खान पाकिस्तान में बहुत लोकप्रिय नेता हैं। हालांकि उन्हें सत्ता से हटा दिया गया, फिर भी उनकी पार्टी के कई सदस्य चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। ये बताता है कि जनता में उनका समर्थन अभी भी मजबूत है।
कानूनी लड़ाई
इमरान खान और उनकी पार्टी ने अदालतों में भी अच्छी लड़ाई लड़ी है। विदेशी धन लेने के आरोप सबूत न होने के कारण खारिज हो गए। गोपनीय दस्तावेजों के मामले में भी उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पीटीआई को संसद में कई सीटें भी दी हैं।
अंतरराष्ट्रीय दबाव
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा है कि इमरान खान को गिरफ्तार करने का कोई ठोस कारण नहीं है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है और खान को तुरंत रिहा करने की मांग की है।
सरकारी गठबंधन में मतभेद
पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने की बात से सरकार में शामिल दलों के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने कहा है कि उनसे इस बारे में कोई राय नहीं ली गई। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ती है।
लोकतंत्र पर सवाल
एक बड़ी राजनीतिक पार्टी को कानूनी तरीकों से चुनाव से दूर रखने की कोशिश लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। ये बड़ी विडंबना है कि जिस पार्टी ने खुद लंबे समय तक अलोकतांत्रिक व्यवहार झेला, वही अब इसका शिकार हो रही है।
इस तरह, इमरान खान की पार्टी पर प्रतिबंध की संभावना पाकिस्तान के लोकतंत्र पर गहरे सवाल खड़े कर रही है। आने वाला समय बताएगा कि पाकिस्तान की सरकार इस मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ती है और क्या इमरान खान और उनकी पार्टी को न्याय मिल पाता है।
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