Banganga Tank Wall Repair: मुंबई का बाणगंगा तालाब, जो वालकेश्वर में स्थित एक ऐतिहासिक धरोहर है, इन दिनों एक दीवार ढहने की घटना के कारण चर्चा में है। इस 12वीं सदी के बाणगंगा तालाब (Banganga Tank) की एक दीवार का हिस्सा मई में गिर गया था, जिसके बाद बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने तत्काल मरम्मत की योजना बनाई है। यह खबर नई पीढ़ी के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है, जो शहर की सांस्कृतिक विरासत और इसके संरक्षण के प्रति जागरूक है। बीएमसी, राज्य पुरातत्व विभाग और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (जीएसबी) मंदिर ट्रस्ट ने मिलकर इस स्थल का निरीक्षण किया और मरम्मत के लिए प्रस्ताव तैयार किया है।
25 मई 2025 को बाणगंगा तालाब की 15 फीट ऊंची दीवार का एक हिस्सा अचानक ढह गया। सौभाग्य से इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन आंशिक रूप से गिरी यह दीवार लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई। बीएमसी के डी वार्ड के अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और घटनास्थल का दौरा किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि दीवार को लंबे समय में पूरी तरह से पुनर्निर्माण की जरूरत है, लेकिन अभी ढहे हुए हिस्से की तत्काल मरम्मत जरूरी है। यह दीवार उन अतिक्रमणों से जुड़ी थी, जिन्हें बीएमसी और जीएसबी मंदिर ट्रस्ट ने संयुक्त अभियान में हटाया था। यह घटना न केवल सुरक्षा के मुद्दे को उजागर करती है, बल्कि ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव की चुनौतियों को भी सामने लाती है।
बाणगंगा तालाब (Banganga Tank) मुंबई की सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण धरोहरों में से एक है। यह आयताकार सीढ़ीदार तालाब 12वीं सदी का है और इसमें 16 ऐतिहासिक मंदिर हैं, जिनमें काशी मठ और कवले मठ शामिल हैं। अरब सागर के इतने करीब होने के बावजूद इस तालाब में ताजा पानी है, जो इसे मुंबई के बचे-खुचे प्राकृतिक जल स्रोतों में से एक बनाता है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए यह स्थान आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। 2024 में बीएमसी और जीएसबी मंदिर ट्रस्ट ने इस धरोहर स्थल के चरणबद्ध पुनरुद्धार की शुरुआत की थी, लेकिन दीवार ढहने की घटना इस परियोजना से अलग है।
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ढही हुई दीवार की मरम्मत के लिए पुरातत्व विभाग और बीएमसी प्रशासन से अंतिम मंजूरी मांगी जा रही है। यह मरम्मत कार्य प्राथमिकता के आधार पर शुरू किया जाएगा, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। दीवार का पुनर्निर्माण ऐतिहासिक स्थल की मूल संरचना और सौंदर्य को ध्यान में रखकर किया जाएगा, क्योंकि बाणगंगा तालाब एक ग्रेड-आई धरोहर है। यह प्रक्रिया नई पीढ़ी को यह समझाने का मौका देती है कि आधुनिक तकनीक और पारंपरिक वास्तुकला का संतुलन कैसे बनाया जाता है।
बाणगंगा तालाब का इतिहास मुंबई की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। यह तालाब रामायण काल से जुड़ा माना जाता है, जब भगवान राम ने अपने बाण से जल स्रोत निकाला था। आज भी यह स्थान धार्मिक अनुष्ठानों और पर्यटन का केंद्र है। लेकिन दीवार ढहने जैसी घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में पर्याप्त प्रयास कर रहा है। बीएमसी और जीएसबी मंदिर ट्रस्ट की संयुक्त पहल इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह भी जरूरी है कि ऐसे कार्य समय पर और पारदर्शी तरीके से पूरे हों।
मरम्मत का यह कार्य केवल दीवार को ठीक करने तक सीमित नहीं है। यह मुंबई के लोगों के लिए एक संदेश है कि उनकी विरासत को बचाने की जिम्मेदारी सामूहिक है। नई पीढ़ी, जो सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए अपनी आवाज बुलंद करती है, इस मुद्दे को उठा सकती है। बाणगंगा तालाब जैसी धरोहरें न केवल इतिहास की गवाह हैं, बल्कि यह शहर की आत्मा का हिस्सा भी हैं। इनके संरक्षण में युवाओं की भागीदारी भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रख सकती है।
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