Benefits of Cow Urine: गोमूत्र को लेकर हाल ही में आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि के बयान ने विज्ञान, आयुर्वेद और राजनीति के बीच एक नई बहस को जन्म दिया है। उनकी टिप्पणी के अनुसार, गोमूत्र के फायदे (Benefits of Cow Urine) वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हैं और इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है।
गोमूत्र का वैज्ञानिक आधार (Scientific Basis of Cow Urine)
वी. कामकोटि ने मट्टू पोंगल के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में गोमूत्र का उपयोग (Use of Cow Urine in Ayurveda) प्राचीन काल से चला आ रहा है और अब इसे आधुनिक विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है। उन्होंने जून 2021 में ‘नेचर’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्रों का हवाला दिया, जिसमें गोमूत्र के एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों का उल्लेख किया गया है।
उनका दावा है कि यह न केवल पाचन संबंधी समस्याओं, जैसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, के इलाज में मदद करता है, बल्कि बड़ी आंत से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में भी सहायक हो सकता है।
पंचगव्य और आयुर्वेद (Panchagavya and Ayurveda)
निदेशक ने पंचगव्य का जिक्र करते हुए कहा कि वे व्यक्तिगत तौर पर इसका सेवन करते हैं। पंचगव्य एक आयुर्वेदिक मिश्रण है, जिसमें गोमूत्र, गाय का गोबर, दूध, दही और घी शामिल होते हैं। इसे आयुर्वेद में शुद्धि और रोगों के इलाज के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
गोमूत्र पर विवाद (Controversy Around Cow Urine)
हालांकि, वी. कामकोटि के इस बयान पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आई हैं। कई लोगों ने इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सकारात्मक माना, जबकि कुछ ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया। निदेशक ने स्पष्ट किया कि उनका बयान पूरी तरह से वैज्ञानिक शोध पर आधारित है और इसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है।
गोमूत्र का आयुर्वेद में महत्व (Importance of Cow Urine in Ayurveda)
आयुर्वेद में गोमूत्र का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। इसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शरीर को डिटॉक्स करने के लिए प्रभावी माना जाता है। निदेशक का यह दावा कि गोमूत्र के औषधीय गुणों पर शोध प्रकाशित किए गए हैं, इस पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को और अधिक मान्यता प्रदान करता है।
वी. कामकोटि का बयान एक बार फिर इस बात पर जोर देता है कि गोमूत्र के फायदे (Benefits of Cow Urine) और आयुर्वेद में गोमूत्र का उपयोग (Use of Cow Urine in Ayurveda) को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने और उपयोग करने की आवश्यकता है। यह समय है कि हम पारंपरिक चिकित्सा और आधुनिक विज्ञान के बीच एक संतुलन बनाएं, जिससे प्राचीन पद्धतियों का सही उपयोग किया जा सके।
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