केदारनाथ धाम, जो हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है, इन दिनों एक बड़े विवाद में फंस गया है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ धाम समिति पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें 228 किलोग्राम सोने का कथित घोटाला शामिल है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आरोप लगाया है कि केदारनाथ धाम समिति ने 228 किलोग्राम सोने का घोटाला किया है। उनका दावा है कि यह सोना गायब है और इस मामले की अभी तक कोई जांच नहीं हुई है। यह आरोप बेहद गंभीर है, क्योंकि यह न केवल धन की बड़ी मात्रा से संबंधित है, बल्कि एक प्रतिष्ठित धार्मिक संस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है।
यह पहली बार नहीं है जब केदारनाथ धाम पर इस तरह के आरोप लगे हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने याद दिलाया कि पिछले साल 2023 में एक पुजारी ने 125 करोड़ रुपये के सोने के घोटाले का आरोप लगाया था। उस समय आरोप था कि मंदिर में सोने की जगह पीतल (ब्रास) का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, मंदिर समिति ने उन आरोपों को खारिज कर दिया था।
शंकराचार्य ने एक और चिंताजनक मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि केदारनाथ धाम में कथित घोटाला करने के बाद, अब दिल्ली में एक नया केदारनाथ मंदिर बनाने की योजना है। उन्होंने इस प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जताई है, यह कहते हुए कि 12 ज्योतिर्लिंगों की अपनी एक विशिष्ट परिभाषा और नियम होते हैं, और केदारनाथ धाम को कहीं और स्थापित नहीं किया जा सकता।
शंकराचार्य ने उत्तराखंड सरकार से इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया है। उन्होंने आलोचना की कि एक निजी ट्रस्ट द्वारा केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर की भूमि पूजन में मुख्यमंत्री और विधायकों का शामिल होना अनुचित है। उनका मानना है कि यह केदारनाथ के मूल महत्व और पवित्रता को कम करने का प्रयास है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जोर देकर कहा कि केदारनाथ धाम के नाम से कहीं भी नया मंदिर स्थापित नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई नया मंदिर बनाना चाहता है, तो उसे किसी अन्य नाम से बनाना चाहिए। यह बयान हिंदू धर्म में स्थानों और मंदिरों के महत्व को रेखांकित करता है।
शंकराचार्य ने इस कथित घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि 228 किलोग्राम सोने के गायब होने के आरोपों की जांच होनी चाहिए और दोषी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।
केदारनाथ धाम में कथित सोना घोटाले का मामला बेहद गंभीर है। यह न केवल धन के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं से भी जुड़ा है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है। साथ ही, केदारनाथ धाम के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाने की जरूरत है।
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