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असम विधानसभा में मुस्लिम निकाह और तलाक के पंजीकरण का विधेयक पेश: क्या यह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा?

असम विधानसभा में मुस्लिम निकाह और तलाक के पंजीकरण का विधेयक पेश: क्या यह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा?

असम सरकार ने राज्य में मुस्लिम निकाह और तलाक के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के लिए एक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य बाल विवाह और बिना सहमति के विवाह की रोकथाम करना है, साथ ही बहुविवाह पर रोक लगाने में मदद करना है। यह विधेयक विधवाओं और विवाहित महिलाओं को कानूनी अधिकार प्रदान करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।


मुस्लिम निकाह और तलाक के पंजीकरण का महत्व:

असम सरकार का यह कदम राज्य में महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने और पारिवारिक कानूनी विवादों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस विधेयक के लागू होने से मुस्लिम महिलाओं को उनके वैवाहिक जीवन से संबंधित कानूनी सुरक्षा मिलेगी। यह पहल महिलाओं को अपने विवाह से जुड़े कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने और अपने अधिकारों को सुरक्षित रखने में सहायता करेगी।


विधेयक की प्रमुख विशेषताएं:

  1. बाल विवाह की रोकथाम: इस विधेयक के जरिए बिना सहमति के विवाह और बाल विवाह पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जाएगी।
  2. बहुविवाह पर रोक: यह कानून बहुविवाह को नियंत्रित करने के लिए एक ठोस कदम साबित हो सकता है, जिससे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी।
  3. महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा: विधवा महिलाओं को संपत्ति के उत्तराधिकार और अन्य कानूनी लाभ प्राप्त करने की अनुमति दी जाएगी।

विपक्ष की प्रतिक्रिया:

विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर सवाल उठाए हैं, खासकर कांग्रेस ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या यह विधेयक समुदाय के संगठनों और नेताओं के साथ चर्चा के बाद लाया गया है। विपक्ष का मानना है कि इस विधेयक को पेश करने से पहले व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी ताकि इसके प्रभावों को समझा जा सके।


असम विधानसभा में मुस्लिम निकाह और तलाक के पंजीकरण का विधेयक महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और समाज में कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस विधेयक पर विपक्ष की आपत्तियों को भी गंभीरता से लेना चाहिए और व्यापक चर्चा के बाद इसे लागू किया जाना चाहिए।

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