Biren Singh resignation: मणिपुर इस वक्त गंभीर राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के अचानक इस्तीफा देने के बाद राज्य की राजनीति में अनिश्चितता बनी हुई है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगेगा?
राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं कि बीजेपी नेतृत्व किसी नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति बनाने के लिए समय लेना चाहता है। लेकिन जब तक कोई नया मुख्यमंत्री तय नहीं हो जाता, तब तक राज्य में अस्थिरता बनी रहेगी।
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद क्या हुआ?
रविवार को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने एक अधिसूचना जारी कर विधानसभा को बुलाने के पिछले आदेश को अमान्य घोषित कर दिया।
राजभवन की ओर से यह भी कहा गया कि बीरेन सिंह को तब तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करना होगा, जब तक कोई नया नेता तय नहीं किया जाता।
अब सवाल उठता है कि बीजेपी सरकार नया मुख्यमंत्री कब चुनेगी? और अगर पार्टी को इसमें ज्यादा समय लगता है, तो क्या मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा?
क्या मणिपुर में लगेगा राष्ट्रपति शासन?
संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, अगर किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से विफल हो जाता है, तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, बीरेन सिंह ने इस्तीफा देते समय विधानसभा को निलंबित रखने की सिफारिश की थी। इसका मतलब यह हुआ कि फिलहाल कोई ऐसा नेता नहीं है जिसे बीजेपी के सभी विधायकों का समर्थन हासिल हो।
ऐसी स्थिति में, केंद्र सरकार के पास दो ही विकल्प बचते हैं – या तो जल्द से जल्द नया मुख्यमंत्री चुना जाए, या फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।
केंद्र सरकार क्या कर रही है?
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में इस मुद्दे पर बैठक चल रही है। केंद्रीय नेतृत्व किसी नए नेता पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है।
केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लागू करने में जल्दबाजी नहीं करना चाहती, इसलिए वह थोड़ा और इंतजार करने के मूड में है।
राष्ट्रपति शासन कब तक लागू हो सकता है?
अगर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की रिपोर्ट में यह कहा जाता है कि मणिपुर में सरकार बनाने की स्थिति नहीं है, तो केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन लागू करने पर विचार करना होगा।
हालांकि, राष्ट्रपति शासन को संसद के दोनों सदनों में मंजूरी लेनी होती है, और अभी बजट सत्र का पहला भाग 13 फरवरी को समाप्त हो रहा है।
अगर केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला लेती है, तो यह प्रस्ताव 10 मार्च को शुरू होने वाले बजट सत्र के दूसरे भाग में संसद के सामने रखा जा सकता है।
मणिपुर के राजनीतिक संकट की असली वजह क्या है?
मणिपुर पिछले एक साल से जातीय संघर्ष, हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है।
- मेइती और कुकी समुदायों के बीच विवाद ने राज्य को अशांत बना दिया है।
- बीरेन सिंह की सरकार पर हिंसा को रोकने में नाकाम रहने के आरोप लगे।
- बीजेपी के अंदर भी गुटबाजी बढ़ गई थी, जिससे सरकार कमजोर हो गई।
अब जब मुख्यमंत्री बीरेन सिंह इस्तीफा दे चुके हैं, तो बीजेपी को ऐसे नेता की तलाश है, जो पार्टी के सभी गुटों को साथ लेकर चल सके और राज्य में शांति बहाल कर सके।
मणिपुर का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी को मणिपुर में नया नेता चुनने में मुश्किलें आ सकती हैं।
कुछ संभावित नाम सामने आए हैं, जो मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी कर सकते हैं –
- टी.एच. बिस्वजीत सिंह – राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेता और वर्तमान में एक प्रभावशाली चेहरा।
- सारदा देवी – बीजेपी की प्रदेश अध्यक्ष, जिनका नाम भी चर्चा में है।
- नेमचा किपगेन – आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली बीजेपी की वरिष्ठ नेता।
हालांकि, अंतिम फैसला दिल्ली में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।
क्या मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ेगी?
अगर जल्द ही नया मुख्यमंत्री नहीं चुना गया, तो मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
राज्य में जातीय हिंसा का खतरा भी बना हुआ है। अगर सरकार बनाने में ज्यादा देरी हुई, तो हालात बिगड़ सकते हैं।
क्या होगा अगला कदम?
- बीजेपी को जल्द से जल्द नया मुख्यमंत्री तय करना होगा, ताकि राजनीतिक अस्थिरता खत्म हो।
- अगर यह संभव नहीं होता, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
- केंद्र सरकार संसद के बजट सत्र के बाद राष्ट्रपति शासन पर अंतिम फैसला ले सकती है।
Biren Singh resignation: क्या मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगेगा?
मणिपुर में फिलहाल राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का इस्तीफा देने के बाद बीजेपी को नया नेता चुनने में मुश्किलें आ रही हैं।
अगर पार्टी जल्द फैसला नहीं लेती, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
अब सबकी नजरें केंद्र सरकार और बीजेपी के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या मणिपुर को जल्द नया मुख्यमंत्री मिलेगा या फिर वहां राष्ट्रपति शासन लागू होगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।
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