दिल्ली के यमुना नदी की सफाई को लेकर भाजपा नेता परवेश वर्मा ने एक नायाब और राजनीतिक तंज किया। इस मौके पर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक बड़ा कटआउट यमुना नदी में डुबकी लगवाया गया, जो दिल्ली सरकार की यमुना सफाई को लेकर की जा रही आलोचनाओं को उजागर करने का एक तरीका था। भाजपा के इस कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है।
यमुना के किनारे पर हुआ नाटकीय प्रदर्शन
न्यूज एजेंसी ANI ने वीडियो शेयर कर इस बात की जानकारी दी है। दरअसल बीजेपी ने केजरीवाल के कटआउट को यमुना नदी में डुबकी लगयावा, जहां परवेश वर्मा और उनके समर्थक एक नाव में सवार होकर यमुना की सफाई की स्थिति को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। नाव पर अरविंद केजरीवाल का कटआउट रखा गया था, जिसे “केजरीवाल नाव” नामक नाव में बैठाकर यमुना में ले जाया गया। इस कदम के माध्यम से भाजपा ने ये संदेश देने की कोशिश की कि दिल्ली सरकार यमुना की सफाई में नाकाम रही है और इस मुद्दे पर सख्त कदम नहीं उठाए गए।
भाजपा का ये आरोप है कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने यमुना की सफाई पर गंभीर प्रयास नहीं किए, जिसके कारण नदी की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। भाजपा का कहना है कि केजरीवाल सरकार केवल प्रचार में व्यस्त है, जबकि यमुना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस प्रदर्शन के जरिए भाजपा ने दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा किया और यमुना के प्रदूषण को लेकर उनके कृत्यों पर सवाल उठाया।
सोशल मीडिया पर बहस और प्रतिक्रिया
ये घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और लोगों ने इस पर अपनी-अपनी राय दी। भाजपा समर्थकों ने इस प्रदर्शन की सराहना की और इसे एक प्रभावी तरीका बताया, जबकि केजरीवाल के समर्थकों ने इसे केवल एक राजनीतिक स्टंट करार दिया और कहा कि इस तरह के प्रदर्शन असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास हैं। इस घटनाक्रम ने ये साबित कर दिया कि दिल्ली की राजनीति में दोनों प्रमुख दलों के बीच एक- दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल लगातार जारी है।
भाजपा का ये कदम भले ही एक शानदार राजनीतिक तंज हो, लेकिन इससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है, कि क्या राजनीतिक स्टंट दिल्ली के प्रदूषण के वास्तविक समाधान का रास्ता दिखाते हैं? यमुना नदी की सफाई का मुद्दा दिल्ली में वर्षों से अनदेखा किया जा रहा है, और अब समय आ गया है कि इस मुद्दे पर केवल राजनीतिक बयानबाजी से परे वास्तविक कदम उठाए जाएं।