महाराष्ट्र

BJP’s Arrogance: शिवाजी पार्क में गरजे उद्धव, ‘बीजेपी कौरवों जैसी अहंकारी!’

BJP's Arrogance: शिवाजी पार्क में गरजे उद्धव, 'बीजेपी कौरवों जैसी अहंकारी!'
BJP’s Arrogance: उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की दशहरा रैली में बीजेपी और आरएसएस पर तीखा हमला किया। उन्होंने बीजेपी की नीतियों को कौरवों के अहंकार से जोड़ा, वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी रैली में विपक्ष पर पलटवार किया।

उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर तीखा हमला: दशहरा रैली में राजनीतिक सियासत का उबाल

महाराष्ट्र की राजनीति में दशहरा रैली का विशेष महत्व होता है। इस साल भी इस रैली ने राज्य के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क में आयोजित अपनी दशहरा रैली में बीजेपी का अहंकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने बीजेपी का अहंकार (BJP’s Arrogance) को कौरवों के साथ तुलना करते हुए कहा कि यह पार्टी बहुत घमंडी हो गई है।

उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर आरोप

उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर कड़े शब्दों में हमला किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी में अहंकार की बदबू आ रही है। ठाकरे ने यह भी बताया कि उनका बीजेपी से गठबंधन टूटने का मुख्य कारण यही था कि वे बीजेपी के अहंकार और हिंदुत्व की उनकी परिभाषा को स्वीकार नहीं कर सके। उन्होंने आरएसएस से अपील की कि वे “हाइब्रिड बीजेपी” की नीतियों और उसके हिंदुत्व के स्वरूप पर गंभीरता से विचार करें।

शिवाजी महाराज के नाम पर राजनीति

उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में छत्रपति शिवाजी महाराज का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा महायुति सरकार सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए शिवाजी महाराज का नाम इस्तेमाल करती है। ठाकरे ने चुनौती दी कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी तो वे महाराष्ट्र के हर जिले में शिवाजी महाराज के मंदिर का निर्माण करवाएंगे। उन्होंने कहा कि उनके लिए शिवाजी महाराज एक देवता की तरह हैं, जबकि मौजूदा सरकार सिर्फ मूर्तियों के नाम पर वोट मांग रही है।

एकनाथ शिंदे का पलटवार

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आजाद मैदान में अपनी दशहरा रैली में बीजेपी कौरवों की तरह अहंकारी (BJP like Kauravas with arrogance) के आरोप का जवाब दिया। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने पिछले दो साल में महाराष्ट्र को बेहतर दिशा में ले जाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। शिंदे ने कटाक्ष किया कि विपक्ष ने उनकी सरकार को गिराने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन उनकी सरकार दो साल तक बिना किसी रुकावट के चल रही है। उन्होंने कहा, “हमारे फैसलों से कई लोगों के अवैध धंधे बंद हो गए हैं।”

शिंदे ने उद्धव ठाकरे को सीधा जवाब देते हुए कहा कि उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने खुद को कट्टर शिवसैनिक बताया और कहा कि वह कभी मैदान छोड़ने वालों में से नहीं हैं। शिंदे ने रैली के मंच से महाविकास अघाड़ी पर आरोप लगाए कि उनके कार्यकाल में राज्य का विकास रुक गया था। उन्होंने खुद को “भगोड़ा” कहे जाने की बात का भी खंडन किया।

दशहरा रैली का राजनीतिक महत्व

शिवसेना की दशहरा रैली 1960 से शुरू हुई थी, जब इसके संस्थापक बाल ठाकरे ने इसे शुरू किया था। तब से हर साल इस रैली का राजनीतिक महत्व रहा है, खासकर चुनावों के पहले। इस बार महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले यह रैली राजनीतिक दलों के लिए ताकत दिखाने का बड़ा मौका बन गई है। शिवसेना के दोनों गुट अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह रैली सिर्फ ताकत दिखाने का मंच नहीं है, बल्कि आने वाले चुनावों में मतदाताओं के बीच अपनी मजबूत छवि बनाने का एक प्रयास भी है। उद्धव ठाकरे की तीखी टिप्पणियां और एकनाथ शिंदे का आत्मविश्वास इसी दिशा की ओर इशारा करते हैं कि आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में इन रैलियों का बड़ा असर देखने को मिलेगा। दोनों नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों में जोश भरने की कोशिश की और एक-दूसरे पर तीखे हमले किए।

#MaharashtraPolitics, #DussehraRally, #UddhavThackeray, #BJPvsShivSena, #PoliticalAttack

ये भी पढ़ें: Baba Siddiqui’s murder: एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या; मुंबई की सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल!

You may also like