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ओडिशा की राजनीति में भाजपा की पहली जीत: मोहन माझी ने संभाली सत्ता की बागडोर!

ओडिशा की राजनीति में भाजपा की पहली जीत: मोहन माझी ने संभाली सत्ता की बागडोर!

मोहन माझी ने संभाली सत्ता की बागडोर: भुवनेश्वर में एक ऐतिहासिक दिन साक्षी बना जब आदिवासी नेता मोहन चरण माझी ने ओडिशा के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बंपर जीत के बाद राज्य में पहली बार भाजपा की सरकार बनी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की मौजूदगी में शपथग्रहण शपथग्रहण समारोह भुवनेश्वर के जनता मैदान में हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर माझी को बधाई दी और राज्य के विकास में उनके नेतृत्व की उम्मीद व्यक्त की।

मोहन माझी

पटनायक भी पहुंचे समारोह में इससे पहले, मोहन चरण माझी ने पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की और उन्हें शपथग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया। पटनायक ने निमंत्रण स्वीकार किया और समारोह में शामिल हुए। यह सत्ता परिवर्तन पर उनकी सद्भावना और जनतंत्र के प्रति आदर को दर्शाता है।

मोहन माझी1

दो उपमुख्यमंत्री भी लिए शपथ माझी के अलावा, प्रभाती परिदा और केवी सिंहदेव ने भी उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। परिदा राज्य की पहली महिला उपमुख्यमंत्री हैं। इस तरह से भाजपा ने क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है क्योंकि तीनों नेता राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं।

संघर्ष से सत्ता तक का सफर

मोहन चरण माझी की यात्रा एक चौकीदार के बेटे से राज्य के मुख्यमंत्री बनने तक काफी संघर्षपूर्ण रही है। उन्होंने लगभग तीन दशक पहले एक गांव के सरपंच के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। 2000 में वह पहली बार विधायक चुने गए और चौथी बार विधानसभा पहुंचे हैं।

भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि भाजपा के लिए ये सरकार बनाना एक बड़ी उपलब्धि है। पिछली विधानसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक रहे माझी अब मुख्यमंत्री बन गए हैं। भाजपा ने 147 सीटों में से 78 सीटें जीतीं, जबकि बीजद को 51 सीटें मिलीं। यह परिणाम भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता और विकास की राजनीति को लेकर जनता के विश्वास को दर्शाता है।

मोहन माझी

आशा और उम्मीदें नई सरकार से ओडिशा के विकास के नए अध्याय की उम्मीदें हैं। माझी के नेतृत्व में लोगों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं, रोजगार और गरीबी उन्मूलन की उम्मीद है। राज्य की प्राकृतिक संपदा का उचित दोहन और आदिवासी समुदायों का उत्थान भी प्राथमिकताओं में शामिल होगा। लेकिन निश्चित रूप से यह एक ऐतिहासिक पल था, जब आदिवासी समुदाय के एक सदस्य ने ओडिशा की बागडोर संभाली।

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