मुंबई

BMC Cracks Down on Illegal Structures: गोराई और वर्सोवा में BMC की कार्रवाई, जाली CTS नक्शों पर तोड़े गए निर्माण, ग्रामीणों का विरोध

BMC Cracks Down on Illegal Structures: गोराई और वर्सोवा में BMC की कार्रवाई, जाली CTS नक्शों पर तोड़े गए निर्माण, ग्रामीणों का विरोध

BMC Cracks Down on Illegal Structures: मुंबई के गोराई और वर्सोवा गांवों में एक अनोखा आंदोलन चल रहा है। यहां के लोग अपनी पुश्तैनी जमीन (Ancestral Land) को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने गोराई, वर्सोवा और मलाड में जाली सिटी टाइटल सर्वे (CTS) नक्शों के आधार पर बनाए गए अवैध निर्माणों (Illegal Constructions) के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इस कार्रवाई में सैकड़ों लोगों को नोटिस भेजे गए और कई निर्माण ढहाए गए। लेकिन गोराई और वर्सोवा के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी जमीन उनके पूर्वजों की है, और वे इसे खोने नहीं देंगे।

पिछले महीने BMC ने 800 से ज्यादा CTS नक्शों की जांच की। इस जांच में 165 निर्माण जाली नक्शों पर आधारित पाए गए। इनमें वर्सोवा, मलाड, गोराई, एरंगल, मढ, कुरार, कांदिवली और बोरीवली के इलाके शामिल थे। BMC ने इन निर्माणों के मालिकों को नोटिस भेजकर उनके दस्तावेज मांगे। मई में BMC के P नॉर्थ वार्ड ने 44 अवैध निर्माणों को तोड़ दिया। लेकिन इस कार्रवाई ने स्थानीय ग्रामीणों को परेशान कर दिया। उनका कहना है कि उनके घर, जो 1962 के बाद बने, उनके परिवारों की जरूरतों के लिए बनाए गए थे।

गोराई विलेजर्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष स्वित्सी हेनरिक्स ने बताया कि BMC 1962-63 को एक मानक तारीख मानती है। इस तारीख से पहले बने निर्माणों को आमतौर पर वैध माना जाता है। लेकिन 1962 के बाद जनसंख्या बढ़ने के साथ कई परिवारों ने अपने घरों का विस्तार किया या नए घर बनाए। ये लोग नियमित रूप से BMC को टैक्स भी देते हैं। हेनरिक्स ने कहा कि हम पुश्तैनी जमीन (Ancestral Land) के मालिक हैं। हमारे पूर्वजों ने इन जमीनों पर पीढ़ियों तक मेहनत की है। हम चाहते हैं कि सरकार हमारी बात सुने।

वर्सोवा के कोली समाज के ट्रस्टी राजहंस तपके ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई। उन्होंने बताया कि वर्सोवा गांव के 34 लोगों को नोटिस मिले हैं। उनका कहना है कि अवैध निर्माणों (Illegal Constructions) को तोड़ना ठीक है, लेकिन मूल निवासियों को परेशान नहीं करना चाहिए। हमने BMC के K वेस्ट वार्ड और राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। तपके का कहना है कि कोली समाज और अन्य स्थानीय लोग इस तटीय क्षेत्र में सदियों से रहते आए हैं। उनकी आजीविका मछली पकड़ने और खेती पर निर्भर है।

यह पूरा विवाद तटीय नियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zone) नीति से भी जुड़ा है। गोराई और वर्सोवा जैसे इलाके CRZ के दायरे में आते हैं। इस नीति के तहत नए निर्माणों के लिए सख्त नियम हैं। ग्रामीणों का कहना है कि CRZ नियमों की वजह से उन्हें BMC से निर्माण की अनुमति नहीं मिलती। लेकिन उनके पुराने घरों को तोड़ने की कार्रवाई उन्हें अन्यायपूर्ण लगती है। हेनरिक्स ने मांग की कि आगामी विधानसभा सत्र में CRZ नीति को स्पष्ट किया जाए, ताकि मूल निवासियों को राहत मिले।

गोराई के ग्रामीणों ने हाल ही में बोरीवली के R सेंट्रल वार्ड कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने दस्तावेजों की दोबारा जांच की मांग की। उनका कहना है कि उनके घर और छोटे व्यवसाय, जैसे मछली सुखाने की जगहें, उनके परिवारों का आधार हैं। अगर इन्हें तोड़ दिया गया, तो उनका जीवन मुश्किल हो जाएगा। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि उनका परिवार 100 साल से गोराई में रहता है। उनके दादाजी ने इस जमीन पर मछली पकड़कर और खेती करके परिवार पाला। अब BMC उनके घर को अवैध बता रही है।

BMC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सफाई दी कि नोटिस केवल उन निर्माणों को भेजे गए हैं, जहां CTS नक्शे जाली पाए गए। पुराने गांवठान इलाकों को नोटिस नहीं दिए गए हैं। ज्यादातर नोटिस व्यावसायिक निर्माणों, जैसे रिसॉर्ट्स और बंगलों को भेजे गए हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि कई बार छोटे घरों को भी नोटिस मिल रहे हैं। वे चाहते हैं कि BMC उनकी जमीन के दस्तावेजों की निष्पक्ष जांच करे।

इस मामले में स्थानीय विधायक संजय उपाध्याय ने भी ग्रामीणों का साथ दिया। उन्होंने वादा किया कि वे इस मुद्दे को राजस्व मंत्री और विधानसभा में उठाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी जमीन निजी है, और उन्होंने इसके लिए टैक्स भी भरा है। फिर भी, BMC उनकी बात नहीं सुन रही। एक युवा ग्रामीण ने बताया कि उनके परिवार ने 1970 में घर का विस्तार किया था, क्योंकि उनके भाई-बहनों की शादी हो रही थी। अब BMC इसे अवैध बता रही है।

यह कहानी केवल गोराई और वर्सोवा की नहीं है। मुंबई के तटीय इलाकों में कई गांवों के लोग ऐसी ही समस्याओं से जूझ रहे हैं। CRZ नियमों ने इन इलाकों में विकास को सीमित कर दिया है। लेकिन जनसंख्या बढ़ने के साथ लोगों को अपने घरों का विस्तार करना पड़ा। कई बार ये निर्माण बिना अनुमति के हुए, क्योंकि BMC अनुमति देने में सख्ती बरतती है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार चाहे, तो एक स्पष्ट नीति बनाकर उनकी समस्याओं का हल निकाल सकती है।

गोराई और वर्सोवा के लोगों की यह लड़ाई उनकी पहचान और आजीविका से जुड़ी है। ये लोग मुंबई के मूल निवासी हैं, जिन्होंने इस शहर को अपनी मेहनत से बनाया है। उनकी पुश्तैनी जमीन (Ancestral Land) उनके लिए सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि उनकी विरासत है। BMC की कार्रवाई ने उनके जीवन को प्रभावित किया है, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। वे अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी आवाज सरकार तक पहुंचेगी और उनकी जमीन को बचाया जाएगा।

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